रवि शास्त्री ने सुनाया फारूख इंजीनियर का एक खास किस्सा, कमेंट्री का वीडियो वायरल

Ravi Shastri narrated a special story of Farooq Engineer, commentary video went viral
(File Pic: BCCI/Twiiter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट के दौरान कमेंट्री बॉक्स में एक हल्का-फुल्का लेकिन यादगार पल तब आया, जब पूर्व भारतीय कोच और कमेंटेटर रवि शास्त्री ने टीम इंडिया के दिग्गज विकेटकीपर फारूख इंजीनियर से जुड़ा एक मजेदार किस्सा साझा किया। स्टेडियम में इंजीनियर की मौजूदगी के बीच शास्त्री की टिप्पणी ने न केवल दर्शकों को गुदगुदाया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह वीडियो जमकर वायरल हो गया है। उनके किस्से ने क्रिकेट प्रेमियों को फारूख इंजीनियर के चुलबुले अंदाज़ और उनके दौर की झलक दी।

भारत के पूर्व विकेटकीपर फारुख इंजीनियर और वेस्टइंडीज के महान कप्तान क्लाइव लॉयड को इंग्लैंड के ओल्ड ट्रैफर्ड क्रिकेट ग्राउंड में लंकाशायर काउंटी क्रिकेट क्लब द्वारा एक विशेष सम्मान दिया गया। क्लब ने इन दोनों दिग्गजों के नाम पर एक स्टैंड समर्पित किया है, जिससे उनकी इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में अमूल्य योगदान को अमर कर दिया गया है।

बुधवार को मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ चल रहे चौथे टेस्ट के पहले दिन यह सम्मान समारोह हुआ। इस मौके पर 87 वर्षीय फारुख इंजीनियर खुद स्टैंड में मौजूद थे, जबकि कमेंट्री बॉक्स से पूर्व भारत कोच रवि शास्त्री ने उन्हें एक शानदार श्रद्धांजलि दी।

रवि शास्त्री ने ऑन-एयर कहा, “फारुख 60 और 70 के दशक के रियल पिन-अप बॉय थे, बेहद लोकप्रिय। वो आज भी वैसे ही हैं – शानदार किस्सागो और जबरदस्त खाने के शौकीन। लंच में जैसे ही उन्होंने सुना, उनकी प्लेट पूरी भर जाएगी। उन्होंने जो कहा, मैं बाद में हिंदी में अनुवाद करूंगा।”

इस पर पूर्व इंग्लैंड कप्तान नासिर हुसैन ने मजाक में जोड़ा, “रवि, ऑल डे बुफे लाइन में वो तुम्हारे ठीक पीछे होंगे।”

फारुख इंजीनियर ने 1968 से 1976 के बीच लंकाशायर के लिए 175 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 5942 रन बनाए, 429 कैच पकड़े और 35 स्टंपिंग की। उनके आने से क्लब की किस्मत बदली और लंकाशायर ने 1970 से 1975 के बीच चार बार गिलेट कप का खिताब जीता, जो क्लब के लिए एक बड़ा परिवर्तन था।

क्लाइव लॉयड ने भी 1970 के दशक में लंकाशायर के लिए विदेशी खिलाड़ी के रूप में खेलना शुरू किया। दो बार के विश्व कप विजेता कप्तान लॉयड ने लगभग दो दशकों तक क्लब के साथ जुड़े रहकर टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

दिलचस्प बात यह है कि फारुख इंजीनियर का भारतीय क्रिकेट से गहरा नाता रहा है, खासकर मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में उनके यादगार प्रदर्शन, लेकिन इसके बावजूद भारत में उनके नाम पर कोई स्टैंड नहीं है।

लंकाशायर क्लब द्वारा किया गया यह सम्मान दोनों दिग्गजों की काउंटी क्रिकेट में योगदान की गहराई को दर्शाता है, और उनके क्रिकेटिंग करियर को चिरस्थायी बनाता है।

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