फिलिस्तीनी को मान्यता देने पर अमेरिका और इज़राइल ने फ्रांस की आलोचना की

US and Israel criticised France for recognising Palestiniansचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा आगामी सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीनी राज्य को औपचारिक मान्यता देने की घोषणा के बाद अमेरिका और इज़राइल में कड़ी नाराज़गी देखी जा रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस फैसले को “7 अक्टूबर के पीड़ितों के मुंह पर तमाचा” करार दिया है, वहीं इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “आतंकवाद को इनाम” देने वाला कदम बताया है।

फ्रांस यूरोप का अब तक का सबसे प्रभावशाली देश है जिसने फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की है। अब तक 142 देश फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दे चुके हैं या जल्द देने की योजना बना चुके हैं। यह कदम ऐसे समय में आया है जब गाज़ा पट्टी में इज़राइली सैन्य कार्रवाई के चलते दो मिलियन से अधिक फिलिस्तीनियों पर मानवीय संकट और भूखमरी का खतरा मंडरा रहा है।

अमेरिका का कड़ा विरोध

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देना हमास की प्रचार मशीनरी को ताकत देता है और शांति प्रयासों को पीछे धकेलता है। यह 7 अक्टूबर के हमले में मारे गए निर्दोषों का अपमान है।”

इज़राइल की तीखी प्रतिक्रिया

इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा, “फ्रांस का यह कदम एक और ईरानी मोहरे को जन्म देने का खतरा है, जैसा कि गाज़ा में हुआ। यह इज़राइल को खत्म करने के लिए एक लांचपैड बन सकता है, शांति से साथ रहने का प्रयास नहीं।”

इज़राइल के उपप्रधानमंत्री और न्याय मंत्री यारीव लेविन ने भी इस फैसले को “फ्रांस के इतिहास पर काला धब्बा” बताया और कहा कि अब “पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) पर इज़राइली संप्रभुता लागू करने का समय आ गया है।”

हमास और फिलिस्तीनी प्राधिकरण की प्रतिक्रिया

फिलिस्तीनी प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी हुसैन अल-शेख ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह “अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति फ्रांस की प्रतिबद्धता और फिलिस्तीनी जनता के आत्मनिर्णय के अधिकार के समर्थन को दर्शाता है।”

वहीं हमास ने मैक्रों के ऐलान को “हमारे उत्पीड़ित लोगों के साथ न्याय की दिशा में सकारात्मक कदम” बताया और अन्य देशों से फ्रांस के अनुसरण की अपील की।

फ्रांस का रुख

मैक्रों ने गुरुवार को कहा, “आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता गाज़ा में युद्ध को समाप्त करना और वहां की नागरिक आबादी को बचाना है। हमें अंततः एक स्वतंत्र और जीवंत फिलिस्तीनी राज्य का निर्माण करना होगा, जो निरस्त्र हो और इज़राइल को पूरी तरह से मान्यता दे, ताकि पूरे मध्य पूर्व में सुरक्षा बहाल हो सके।”

दुनिया भर की प्रतिक्रियाएं

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि वे जर्मनी और फ्रांस के साथ संघर्ष रोकने के प्रयासों पर बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा, “एक संघर्षविराम हमें फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता की राह पर ले जाएगा।”

स्पेन, नॉर्वे, आयरलैंड और स्लोवेनिया पहले ही फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दे चुके हैं। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने मैक्रों के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “हम सभी को उस दो-राष्ट्र समाधान की रक्षा करनी चाहिए जिसे नेतन्याहू नष्ट करना चाहते हैं।”

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने भी फ्रांस के निर्णय को “ऐतिहासिक” बताया और अन्य देशों से इसी तरह के कदम उठाने की अपील की।

अब तक का नुकसान

गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इज़राइल की सैन्य कार्रवाई में अब तक 59,587 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकतर नागरिक हैं। वहीं हमास द्वारा अक्टूबर 2023 में किए गए हमले में 1,219 इज़राइली नागरिकों की मौत हुई थी।

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