कारगिल विजय दिवस पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी का संकल्प, “हम शांति प्रिय हैं, लेकिन कमजोर नहीं”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारत की ऐतिहासिक कारगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने लद्दाख के द्रास में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में वीर शहीदों को नमन किया और पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि “आतंकवाद को समर्थन देने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा।”
जनरल द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन विजय की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय सशस्त्र बलों ने एक बार फिर पाकिस्तान की सैन्य आक्रामकता को नाकाम किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब भारत की नीति स्पष्ट है — “जो आतंक को समर्थन देगा, उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।”
“कारगिल विजय दिवस, एक स्मृति नहीं, संकल्प है”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आज मैं इस पावन युद्धभूमि द्रास में खड़ा होकर गौरव और भावुकता से भर गया हूं। 1999 में हमारे वीर जवानों ने दुश्मन को खदेड़ते हुए इन बर्फीली चोटियों पर तिरंगा फहराया। यह हमारी एकता और संप्रभुता की रक्षा का संकल्प था और आज भी है।”
यह लगातार चौथा अवसर था जब वे कारगिल विजय दिवस में सम्मिलित हुए — दो बार उत्तरी सेना के कमांडर के रूप में और अब थल सेनाध्यक्ष के रूप में।
ऑपरेशन सिंदूर से आतंक को करारा जवाब
सेना प्रमुख ने हाल ही के “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे भारतीय सेना ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी ढांचे को सटीक और निर्णायक हमलों से निशाना बनाया।
6-7 मई की रात को पाकिस्तान और पीओजेके में नौ उच्च-मूल्य आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया गया, वह भी बिना किसी निर्दोष नागरिक को नुकसान पहुंचाए।
पहलगाम हमले पर निर्णायक कार्रवाई
जनरल द्विवेदी ने कहा, “पहलगाम में हुआ कायरतापूर्ण आतंकी हमला पूरे देश के लिए एक गहरा आघात था, लेकिन इस बार भारत ने संदेह नहीं, निर्णय लिया। हमारी सेनाओं ने सरकार के भरोसे और रणनीतिक स्वतंत्रता के साथ सटीक जवाब दिया।”
‘रुद्र’ ब्रिगेड से लेकर ‘भैरव’ कमांडो तक — सेना का आधुनिक स्वरूप
सेना प्रमुख ने बताया कि भारतीय सेना तेजी से आधुनिक और भविष्य-उन्मुख बल में बदल रही है। ‘रुद्र’ ऑल-आर्म्स ब्रिगेड में इन्फैंट्री, बख्तरबंद यूनिट, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेज और ड्रोन सिस्टम को जोड़ा गया है।
‘भैरव’ लाइट कमांडो बटालियन सरप्राइज़ हमलों के लिए तैयार हैं। हर इन्फैंट्री बटालियन में ड्रोन प्लाटून, तोपखाने में ‘दिव्यास्त्र’ और लोटर म्यूनिशन बैटरियां तैनात की गई हैं। वायु रक्षा प्रणाली में स्वदेशी मिसाइलें शामिल की जा रही हैं।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि सेना ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को साकार करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने बताया कि लगभग 1.3 करोड़ सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों का बड़ा समुदाय इस राष्ट्र निर्माण में भागीदार है।
“लद्दाख जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना न केवल सुरक्षा देती है, बल्कि विकास में भी सहयोग करती है,” उन्होंने कहा। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के अंतर्गत सीमावर्ती पर्यटन, आधारभूत ढांचे का विकास और युवाओं को टूर गाइड, पर्वतारोहण और साहसिक खेलों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आपका बलिदान हमारी नींव है। आप हमारी परंपरा के वाहक हैं और राष्ट्र निर्माण के अहम स्तंभ भी।”
युवाओं से उन्होंने आह्वान किया कि “यह दिवस केवल स्मृति नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा का आह्वान है — ईमानदारी, निष्ठा और देशभक्ति के साथ अपने क्षेत्र में योगदान दें।”
अंत में सेना प्रमुख ने कहा, “कारगिल विजय दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि हमारी संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा का प्रण है। हम शांतिप्रिय हैं, लेकिन कमजोर नहीं। हम सतर्क हैं, संकल्पबद्ध हैं और तैयार हैं। हमारे शहीद हमारी प्रेरणा हैं। आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम भारत को सुरक्षित, सशक्त और विकसित बनाएंगे।”