टीसीएस में 12,000 कर्मचारियों की छंटनी पर राजनीतिक और औद्योगिक हलचल, जयराम रमेश बोले- “आर्थिक भूकंप का झटका”

Foreign Minister S. Jaishankar's statement in Lok Sabha: "Prime Minister Modi's foreign policy changed India's global position"...
File Photo/Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा 12,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा के बाद देश की राजनीति और आईटी क्षेत्र में चिंता की लहर दौड़ गई है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस निर्णय को ‘आर्थिक भूकंप’ करार देते हुए कहा कि यह केवल एक ‘एकबारगी झटका’ न रह जाए, यही देश की आशंका है। टीसीएस, जिसकी कुल कर्मचारी संख्या जून 2025 तक 6.13 लाख है, ने बताया कि छंटनी का असर मुख्य रूप से मध्य और वरिष्ठ स्तर के कर्मचारियों पर पड़ेगा।

कंपनी के सीईओ के. कृतिवासन ने इसे अब तक का सबसे कठिन निर्णय बताया और कहा कि यह कदम लागत में कटौती या ऑटोमेशन के कारण नहीं लिया गया है, बल्कि उन कर्मचारियों की भूमिकाओं में कौशल के अभाव के कारण उठाया गया है, जो अब कंपनी की बदली हुई आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं। टीसीएस वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और अन्य उन्नत तकनीकों के बड़े पैमाने पर उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे आईटी क्षेत्र में मांग का स्वरूप बदल रहा है।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि “एफ.सी. कोहली द्वारा स्थापित और भारत का गर्व टीसीएस, 2 प्रतिशत वरिष्ठ प्रबंधन की छंटनी की घोषणा करके आर्थिक भूचाल लेकर आया है। इसे ‘कौशल असंगति’ का परिणाम बताया गया है, लेकिन इसका जो भी अर्थ हो, यह खबर निश्चित ही चिंताजनक है।”

रिपोर्ट्स के अनुसार, टीसीएस प्रभावित कर्मचारियों को सेवरेंस पैकेज, विस्तारित बीमा कवर, नोटिस अवधि का वेतन और वैकल्पिक नौकरियों की तलाश में सहायता प्रदान कर रही है। फिर भी, यह छंटनी कई कर्मचारियों के लिए अचानक और आघातपूर्ण रही है।

इस निर्णय के खिलाफ नासेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट (NITES) ने भी टीसीएस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। संगठन ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने बिना पूर्व सूचना या सरकार को सूचित किए हजारों कर्मचारियों की नौकरी समाप्त करने की योजना बनाई है, जो भारतीय श्रम कानूनों के खिलाफ है।

उधर, केंद्रीय आईटी मंत्रालय ने भी टीसीएस की इस छंटनी प्रक्रिया पर निगरानी रखने की बात कही है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन न हो और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए।

देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी द्वारा एक साथ इतने बड़े पैमाने पर की जा रही छंटनी से यह संकेत मिल रहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीकी बदलावों के इस दौर में आईटी क्षेत्र में कार्यबल की संरचना में भी बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार, उद्योग और कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया इस निर्णय को किस दिशा में ले जाती है।

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