पूर्व जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना बलात्कार के मामले में दोषी करार, महज 14 महीने में आया फैसला

Ex-JDS MP Prajwal Revanna convicted for rape, verdict came in just 14 monthsचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: कर्नाटक के मैसूर स्थित केआर नगर की एक घरेलू सहायिका द्वारा दर्ज कराए गए बलात्कार के मामले में शुक्रवार को जन प्रतिनिधियों की विशेष अदालत ने पूर्व जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना को दोषी ठहराया।

मामला दर्ज होने के मात्र 14 महीने बाद ही यह फैसला सुनाया गया, और मुकदमा बेहद तेजी से पूरा हुआ। अदालत शनिवार को सजा सुनाएगी। अदालत में भावुक दिखे रेवन्ना रो पड़े और फैसला सुनाए जाने के बाद अदालत कक्ष से बाहर निकलते समय उन्हें रोते हुए देखा गया।

आपराधिक जाँच विभाग (सीआईडी) के साइबर अपराध थाने में दर्ज इस मामले में रेवन्ना पर महिला के साथ दो बार बलात्कार करने और इस कृत्य का वीडियो बनाने का आरोप लगाया गया है।

जाँच और मुकदमे के दौरान, पीड़िता ने साक्ष्य के तौर पर एक साड़ी पेश की, जिसे उसने सुरक्षित रख लिया था। बाद में फोरेंसिक जाँच में साड़ी पर शुक्राणु की मौजूदगी की पुष्टि हुई, जिसे अदालत में पेश किया गया और बलात्कार की पुष्टि के लिए इसे एक महत्वपूर्ण सबूत के रूप में स्वीकार किया गया।

यह मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2008 की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।

इंस्पेक्टर शोभा के नेतृत्व में सीआईडी के विशेष जाँच दल (एसआईटी) ने जाँच के दौरान 123 साक्ष्य एकत्र किए और लगभग 2,000 पृष्ठों का एक विशाल आरोप पत्र प्रस्तुत किया।

मुकदमा 31 दिसंबर, 2024 को शुरू हुआ। अगले सात महीनों में, अदालत ने 23 गवाहों से पूछताछ की और वीडियो क्लिप की प्रमुख फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) रिपोर्टों के साथ-साथ अपराध स्थल की निरीक्षण रिपोर्टों की भी समीक्षा की।

जिन धाराओं के तहत प्रज्वल रेवन्ना को दोषी ठहराया गया था, उनमें सजा की अलग-अलग डिग्री हैं। आईपीसी की धारा 376(2)(के) और 376(2)(एन) में न्यूनतम दस साल की सजा का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

आईपीसी की धारा 354(ए), 354(बी), और 354(सी) में तीन साल तक की कैद का प्रावधान है। आईपीसी की धारा 506 के तहत छह महीने तक की सज़ा का प्रावधान है, जबकि आईपीसी की धारा 201 के तहत न्यूनतम एक साल की सज़ा का प्रावधान है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 की धारा 66(ई) के तहत तीन साल तक की सज़ा का प्रावधान है।

अदालत शनिवार को सज़ा सुनाएगी।

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