ट्रंप की ‘मृत अर्थव्यवस्था’ टिप्पणी पर शशि थरूर ने राहुल गांधी से असहमति जताई

Shashi Tharoor disagrees with Rahul Gandhi on Trump's 'dead economy' remarkचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शशि थरूर एक बार फिर अपनी स्वतंत्र सोच और पार्टी लाइन से अलग रुख को लेकर सुर्खियों में हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को “मृत अर्थव्यवस्था” कहे जाने पर जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने इस टिप्पणी का समर्थन करते हुए मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला, वहीं थरूर ने इस बयान से दूरी बनाते हुए संयमित और संतुलित रुख अपनाया।

शनिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान जब उनसे राहुल गांधी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो थरूर ने कहा, “मैं अपनी पार्टी के नेता की बातों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। ऐसा कहने के उनके अपने कारण रहे होंगे।” उनका यह बयान साफ तौर पर दर्शाता है कि वे इस मुद्दे पर पार्टी के औपचारिक रुख के साथ नहीं खड़े हैं।

राहुल गांधी ने इससे पहले एक प्रेस वार्ता में कहा था कि “हाँ, ट्रंप सही कह रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था एक मृत अर्थव्यवस्था है, और इसके जिम्मेदार प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री हैं। भाजपा ने अडानी की मदद के लिए देश की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी है।” उन्होंने प्रधानमंत्री पर सिर्फ एक उद्योगपति के हितों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी वही करेंगे जो ट्रंप कहेंगे।”

इसके विपरीत, शशि थरूर ने अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं के संदर्भ में ट्रंप की टिप्पणियों को एक “सौदेबाजी की रणनीति” बताया और भारतीय वार्ताकारों का समर्थन करने की बात कही। उन्होंने कहा, “हमें सर्वोत्तम संभव समझौते के लिए अपने वार्ताकारों का समर्थन करना चाहिए। अगर कोई अच्छा सौदा संभव नहीं है, तो हमें पीछे हटने से भी हिचकना नहीं चाहिए।”

थरूर की यह नरम और व्यावहारिक भाषा न केवल उनकी कूटनीतिक सोच को दर्शाती है, बल्कि पार्टी के भीतर उनके अलग-थलग पड़ने की पृष्ठभूमि को भी उजागर करती है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के लिए थरूर के सार्वजनिक समर्थन और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस नेतृत्व और थरूर के बीच मतभेद और गहरा गए हैं। सरकार द्वारा थरूर को इस पद के लिए नामांकित किया जाना, और उनका इसे स्वीकार करना, कांग्रेस की आधिकारिक लाइन से हटकर कदम माना गया।

थरूर ने पहले भी स्पष्ट किया है कि “देश पार्टी से पहले आता है”, और उनका यह बयान पार्टी के भीतर असहजता का कारण बना है। वहीं कांग्रेस की ओर से उनके बयानों पर सार्वजनिक रूप से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन अंदरखाने नाराज़गी की सुगबुगाहट तेज़ है।

डोनाल्ड ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई जब अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है, और साथ ही रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद पर परोक्ष चेतावनी भी दी है। इस भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि में शशि थरूर का संतुलित रुख उन्हें कांग्रेस के भीतर एक ‘विचारशील असहमतिवादी’ की भूमिका में और मज़बूती से स्थापित करता है।

जहां एक ओर कांग्रेस के भीतर विचारधारात्मक टकराव और रणनीतिक मतभेद साफ़ दिख रहे हैं, वहीं थरूर की यह दूरी पार्टी के भीतर नेतृत्व और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक बार फिर सवाल खड़े कर रही है।

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