गाज़ा सिटी पर इज़राइली नियंत्रण की योजना को नेतन्याहू कैबिनेट की मंज़ूरी, वैश्विक स्तर पर तीव्र आलोचना
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सुरक्षा कैबिनेट द्वारा गाज़ा सिटी पर सैन्य नियंत्रण स्थापित करने की नई योजना को मंजूरी मिलने के बाद देश और विदेश में तीव्र आलोचना का सिलसिला शुरू हो गया है। युद्ध के लगभग दो साल बाद नेतन्याहू पर युद्धविराम सुनिश्चित करने और गाज़ा के दो मिलियन से अधिक लोगों को भुखमरी के कगार से वापस लाने के लिए दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, साथ ही बंधकों की रिहाई की मांग भी जोर पकड़ रही है।
इस्राइल के खिलाफ अक्टूबर 2023 में हमला करने वाले हमास ने इस योजना को “एक नया युद्ध अपराध” करार दिया है। वहीं इज़राइल की घनिष्ठ सहयोगी जर्मनी ने गाज़ा में सैन्य उपयोग की आशंका के चलते सैन्य उपकरणों के निर्यात को अस्थायी रूप से रोकने का असाधारण कदम उठाया, जिसे नेतन्याहू ने हमास को “इनाम” देने के रूप में निंदा की।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, हमास को “हराने” की इस योजना के तहत इज़राइली सेना गाज़ा सिटी पर नियंत्रण की तैयारी करेगी, जबकि लड़ाई के क्षेत्रों से बाहर मानवीय सहायता वितरित की जाएगी। नेतन्याहू ने सोशल मीडिया पर कहा कि “हम गाज़ा पर कब्जा नहीं करेंगे — हम गाज़ा को हमास से मुक्त करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र का निरस्त्रीकरण और एक शांतिपूर्ण नागरिक प्रशासन की स्थापना बंधकों की रिहाई और भविष्य के खतरों को रोकने में सहायक होगी।
इज़राइल ने 1967 से गाज़ा पर कब्जा कर रखा था लेकिन 2005 में सैनिकों और बस्तियों को वहां से हटा लिया था। नेतन्याहू के कार्यालय ने बताया कि कैबिनेट ने पांच सिद्धांतों को अपनाया है, जिनमें गाज़ा का निरस्त्रीकरण और ऐसा नागरिक प्रशासन स्थापित करना शामिल है जो न तो हमास हो और न ही फिलिस्तीनी प्राधिकरण।
इस योजना की वैश्विक स्तर पर चीन, तुर्की, ब्रिटेन और कई अरब देशों ने तीव्र आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस योजना को “खतरनाक बढ़त” बताते हुए कहा कि इससे “फिलिस्तीनियों के लिए पहले से ही विनाशकारी हालात और बदतर हो सकते हैं।” कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस योजना पर चर्चा के लिए रविवार को बैठक करेगी।
जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि यह समझना “लगभग असंभव” हो गया है कि यह योजना इज़राइल के वैध उद्देश्यों को कैसे हासिल करेगी और इसी कारण जर्मनी ने सैन्य आपूर्ति को रोक दिया है। इज़राइल के रक्षा मंत्री इज़राइल काट्ज़ ने कहा कि सेना पहले ही योजना के क्रियान्वयन की तैयारी कर रही है। हालांकि देश के भीतर भी इस फैसले को लेकर मतभेद हैं। बंधकों के परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह ने इस योजना की आलोचना करते हुए इसे बंधकों को “छोड़ देने” जैसा बताया।
इस समूह का कहना है कि कैबिनेट ने बंधकों, सैनिकों और पूरे इज़राइली समाज की कीमत पर एक और “लापरवाही की यात्रा” शुरू कर दी है। हमास के हमले के दौरान 251 लोगों को बंधक बनाया गया था, जिनमें से 49 अब भी गाज़ा में हैं और इनमें से 27 को मृत घोषित किया गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गाज़ा सिटी में बंधकों की मौजूदगी की आशंका है और वहां जमीनी अभियान शुरू हो सकता है, जिससे खतरा बढ़ सकता है।
कुछ इज़राइली नागरिक इस योजना के समर्थन में भी सामने आए हैं। एक 26 वर्षीय छात्र चाइम क्लेन ने कहा कि “जब वे गाज़ा पर नियंत्रण करेंगे तो हमास को पूरी तरह नहीं तो कम से कम काफी हद तक समाप्त कर देंगे।” इज़राइली सेना का कहना है कि वह पहले ही गाज़ा पट्टी के 75 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर चुकी है।
वहीं गाज़ा के निवासियों में फिर से विस्थापन और हमलों का डर गहराता जा रहा है। एक 52 वर्षीय महिला मैसा अल-शांती ने कहा कि “हमें कभी दक्षिण जाने को कहते हैं, फिर उत्तर, और अब फिर से दक्षिण… हम इंसान हैं, लेकिन कोई हमें सुनता या देखता नहीं है।” हमास ने चेतावनी दी कि गाज़ा सिटी पर कब्जा और निवासियों की निकासी की योजना “एक नया युद्ध अपराध” है और इस अभियान की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित रिपोर्टों में चेतावनी दी गई है कि गाज़ा में भुखमरी तेजी से फैल रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस साल कुपोषण से कम से कम 99 लोगों की मौत हो चुकी है और यह संख्या वास्तविकता में अधिक हो सकती है। गाज़ा की नागरिक रक्षा एजेंसी ने बताया कि एक 19 वर्षीय युवक मानवीय सहायता गिराए जाने के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया, जब भारी पैकेट उसके सिर पर गिरा। एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बास्सल के अनुसार, भीड़भाड़ और गिरते सामान के कारण कई बार जानलेवा हादसे हो रहे हैं। शुक्रवार को गाज़ा में इज़राइली हमलों में कम से कम 16 लोगों की मौत हुई।
हालांकि इज़राइल ने हाल के महीनों में गाज़ा में सहायता भेजने पर कुछ प्रतिबंधों में ढील दी है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अब भी यह सहायता वहां की ज़रूरतों के मुकाबले बेहद कम है। हमलों की वजह से गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 61,000 से अधिक फिलीस्तीनी मारे जा चुके हैं। वहीं अक्टूबर 2023 में हमास के हमले में 1,219 लोगों की जान गई थी।