किश्तवाड़ त्रासदी: अब तक 56 शव बरामद, 250 से अधिक लापता

Kishtwar cloudburst tragedy: 56 bodies recovered so far, more than 250 missing
(Pic: Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली:  जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में स्थित चशोटी गांव के पास गुरुवार सुबह एक भयानक बादल फटने (Cloudburst) की घटना में अब तक 56 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें दो सीआईएसएफ (CISF) के जवान भी शामिल हैं। इस हादसे में 300 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जबकि 250 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

यह भीषण आपदा मचैल माता यात्रा के मार्ग पर उस समय घटी जब सैकड़ों श्रद्धालु चशोटी गांव में ठहरे हुए थे, जो इस धार्मिक स्थल का अंतिम मोटरेबल (सड़क से जुड़ा) गांव है।

यह हादसा सुबह करीब 11:30 बजे हुआ जब अचानक आए तेज़ पानी और मलबे ने लंगर, टेंट, सुरक्षा चौकियां और अन्य अस्थायी ढांचे बहा दिए। लगभग 200 यात्रियों को भोजन करवा रहे कम्युनिटी किचन को सबसे अधिक नुकसान हुआ।

पीएम मोदी ने जताया दुख, दी हर संभव मदद का आश्वासन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बात की और त्रासदी पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “अभी-अभी आदरणीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी का फोन आया। मैंने उन्हें किश्तवाड़ की स्थिति और प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। इस दुखद बादल फटने की घटना में केंद्र सरकार की सहायता के लिए हम आभारी हैं।”

राहत-बचाव कार्य जारी, खराब मौसम बना बाधा

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह आपदा बड़ी संख्या में जानमाल की क्षति का कारण बन सकती है। प्रशासन, पुलिस, सेना, NDRF, SDRF, और स्थानीय स्वयंसेवी संगठन राहत-बचाव कार्य में लगे हैं। मौसम की खराबी और सड़कें बह जाने के कारण हवाई बचाव कार्य बाधित हुआ है, जिसके चलते जमीनी दल ही मुख्य संचालन कर रहे हैं।

प्रशासन ने मचैल माता यात्रा को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। लापता लोगों की तलाश के लिए हेल्पलाइन नंबर और कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिए गए हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं युद्धस्तर पर सक्रिय

  • पड्दर के सब-डिस्ट्रिक्ट अस्पताल (SDH) में 13 डॉक्टर और 31 पैरामेडिकल स्टाफ की अतिरिक्त तैनाती की गई है।
  • किश्तवाड़ जिला अस्पताल (DH) में GMC डोडा से जनरल सर्जन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, और एनेस्थेटिस्ट भेजे गए हैं।
  • GMC जम्मू को 50 आपातकालीन बेड, 20 वेंटिलेटर बेड और 5 ऑपरेशन थिएटर के साथ तैयार रखा गया है।
  • PGIMER चंडीगढ़ से क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट्स और न्यूरोसर्जन की टीम जम्मू रवाना की गई है।
  • GMC जम्मू के ब्लड बैंक में 200 से अधिक यूनिट रक्त भंडारण में रखा गया है।

65 से अधिक एंबुलेंस तैनात

सेना, CRPF, NHPC, और 108 इमरजेंसी सेवा समेत 65 एंबुलेंस प्रभावित क्षेत्र में तैनात की गई हैं ताकि घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सके।

त्रासदी की गंभीरता को देखते हुए जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में स्वतंत्रता दिवस समारोह सीमित कर दिए गए हैं। केवल ध्वजारोहण और राष्ट्रगान तक कार्यक्रम सीमित रहे।

अधिकारियों का मानना है कि कई इलाके अब भी संपर्क से कटे हुए हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। नदी किनारों पर तलाशी अभियान जारी है।

यह हादसा ना केवल एक पर्यावरणीय आपदा है, बल्कि यह उन सैकड़ों परिवारों के लिए गहरी चोट है जो श्रद्धा से भरे मन से यात्रा पर निकले थे। सरकार, सेना और समाज के हर स्तर से राहत और मदद की कोशिशें जारी हैं, ताकि एक भी जान और एक भी उम्मीद बचाई जा सके।

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