‘आपराधिक सांसद’ विधेयक पर विपक्ष का लोकसभा में हंगामा, अमित शाह पर कागज फेंका गया

Opposition creates ruckus in Lok Sabha over 'Criminal MP' bill, paper thrown at Amit Shahचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद में एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद विधेयक पेश किया है, जिसके तहत गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को उनके पद से हटाया जा सकेगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया, जिसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री भी शामिल होंगे।

सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयकों में ‘द गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरेटरीज (अमेंडमेंट) बिल 2025’, ‘द कांस्टीट्यूशन (130वां संशोधन) बिल 2025’ और ‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025’ शामिल हैं।

वहीं, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025’ भी लोकसभा में पेश किया, जिसका उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स, शैक्षणिक गेम्स और सोशल गेमिंग जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देना और उन्हें विनियमित करना है। हालांकि, विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग को लेकर विरोध जारी रखा, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई और उसे स्थगित करना पड़ा।

सबसे ज्यादा विवाद अमित शाह द्वारा पेश उस विधेयक को लेकर हुआ जिसमें यह प्रावधान है कि यदि किसी वरिष्ठ निर्वाचित जनप्रतिनिधि को गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिनों के लिए गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा, चाहे उस पर आरोप सिद्ध हुए हों या नहीं। इस प्रस्ताव ने विपक्षी दलों में रोष पैदा कर दिया है, जिन्होंने इसे “तानाशाही”, “असंवैधानिक” और “लोकतंत्र विरोधी” करार दिया है।

कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं इसे एक पूरी तरह तानाशाही कदम मानती हूं… इसे ‘भ्रष्टाचार विरोधी उपाय’ कहना जनता की आंखों में धूल झोंकना है। कल को आप किसी मुख्यमंत्री पर कोई भी मामला दर्ज करवा सकते हैं, उन्हें बिना सजा के 30 दिन के लिए जेल भेज सकते हैं और वह मुख्यमंत्री पद से बाहर हो जाएंगे? यह पूरी तरह असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है।”

कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ को लेकर पार्टी लाइन से अलग दिखे थे, इस बार भी पार्टी के रुख से हटते नजर आए और इस विधेयक पर अलग राय रखी।

विपक्ष का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी पहले से ही राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का सहारा लेती रही है, और अब वह इसी रणनीति को संवैधानिक रूप देने की कोशिश कर रही है। विपक्षी दलों ने जनता को चेताया है कि यह विधेयक भारत को एक “पुलिस राज्य” और “तानाशाही शासन” में बदलने की दिशा में एक खतरनाक कदम है।

इस विधेयक को लेकर संसद में तीखी बहस की संभावना है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार विपक्ष की आशंकाओं को दूर कर पाती है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *