गेहूं और चावल में आत्मनिर्भर भारत को अब खेती की लागत घटाने पर देना होगा ध्यान: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत आज गेहूं और चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भर है, लेकिन अब आवश्यकता इस बात की है कि खेती की लागत को कम किया जाए ताकि यह और अधिक लाभकारी बन सके। वे आज ग्वालियर स्थित राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 64वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर मंत्री ने कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को उनकी जन्मशताब्दी वर्ष में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें भारत की खाद्य आत्मनिर्भरता का अग्रदूत बताया। उन्होंने किसानों के अथक परिश्रम और वैज्ञानिकों की शोध उपलब्धियों को भारत की कृषि शक्ति का आधार बताया।
उन्होंने बताया कि पिछले 10–11 वर्षों में देश में गेहूं उत्पादन 86.5 मिलियन टन से बढ़कर 117.5 मिलियन टन हो गया है, जो लगभग 44% की वृद्धि है। हालांकि यह उपलब्धि सराहनीय है, लेकिन अभी भी प्रति हेक्टेयर उत्पादकता को वैश्विक औसत के स्तर तक पहुंचाने की जरूरत है। मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान प्राथमिकता दलहन और तिलहन की उत्पादकता बढ़ाने की है ताकि आयात पर निर्भरता घटाई जा सके। साथ ही, उन्होंने जौ जैसे पारंपरिक अनाजों के औषधीय गुणों को रेखांकित करते हुए इनके प्रचार-प्रसार पर बल दिया।
शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे बायो-फोर्टिफाइड गेहूं के विकास पर काम करें और असंतुलित उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को रोकने हेतु प्रयास करें। उन्होंने पराली प्रबंधन और किसानों को आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार नकली खाद और कीटनाशकों से किसानों को बचाने के लिए सख्त कदम उठा रही है। जिन कंपनियों के उत्पादों से फसल को नुकसान हुआ है, उनके लाइसेंस रद्द किए जा रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
कृषि मंत्री ने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों के लिए एकीकृत खेती (इंटीग्रेटेड फार्मिंग) सबसे लाभदायक मॉडल है, जिसमें खेती के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन और बागवानी को जोड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करें और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दें। चौहान ने कहा कि यह सम्मेलन केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि यहां से निकलने वाले सुझाव और निष्कर्ष एक ठोस कार्ययोजना का रूप लेंगे।