कनेक्टिविटी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा: मोदी सरकार ने रेल प्रोजेक्ट्स और PM स्वनिधि योजना को दी बड़ी मंजूरी
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि सरकार की प्राथमिकता अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे और बेहतर कनेक्टिविटी पर केंद्रित है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के ताज़ा फैसलों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कैबिनेट ने चार बड़े रेलवे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है, जिनका कुल निवेश ₹12,328 करोड़ है। साथ ही, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) योजना को 31 मार्च 2030 तक बढ़ा दिया गया है।
रेलवे प्रोजेक्ट्स को मिली मंजूरी
चारों रेल परियोजनाएं गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और असम के 13 जिलों को कवर करेंगी। इनसे 565 किलोमीटर तक रेलवे नेटवर्क का विस्तार होगा। इन परियोजनाओं का उद्देश्य यात्रियों और माल ढुलाई के लिए तेज़, सुविधाजनक और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन सुनिश्चित करना है।
स्वीकृत रेलवे परियोजनाएं:
- देशलपर – हाजीपीर – लूणा और वायोर – लखपत नई रेल लाइन (कच्छ, गुजरात के दूरदराज क्षेत्रों में)
- सिकंदराबाद (सनतनगर) – वाडी तीसरी और चौथी रेल लाइन (तेलंगाना, कर्नाटक)
- भागलपुर – जमालपुर तीसरी रेल लाइन (बिहार)
- फुर्काटिंग – न्यू तिनसुकिया डबलिंग (असम)
प्रधानमंत्री मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “हमारा निरंतर प्रयास है कि भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार हो और इससे देश की प्रगति को गति मिले।”
PM SVANidhi योजना को 2030 तक बढ़ाया गया
सरकार ने PM स्वनिधि योजना को पुनर्गठित करते हुए 2030 तक विस्तार देने का फैसला किया है। इसके तहत ₹7,332 करोड़ की कुल लागत से 1.15 करोड़ रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों को लाभ मिलेगा, जिनमें से 50 लाख नए लाभार्थी होंगे।
पुनर्गठित योजना की प्रमुख विशेषताएं:
- पहली किश्त का ऋण ₹10,000 से बढ़ाकर ₹15,000
- दूसरी किश्त का ऋण ₹20,000 से बढ़ाकर ₹25,000
- तीसरी किश्त ₹50,000 यथावत
- दूसरी किश्त चुकाने वाले लाभार्थियों को RuPay क्रेडिट कार्ड
- UPI आधारित लेनदेन पर डिजिटल कैशबैक
- योजना का विस्तार सांविधिक नगरों से आगे, जनगणना नगरों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक
प्रधानमंत्री ने कहा,”हम अपने रेहड़ी-पटरी व्यवसायी भाइयों-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे विश्वास है कि यह योजना उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन लाएगी।”
क्या होगा फायदा?
- लॉजिस्टिक्स लागत में कमी
- ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी
- CO₂ उत्सर्जन में कटौती
- नौकरी के नए अवसर
- छोटे व्यापारियों की क्रेडिट तक पहुंच आसान