पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्रंप के सहयोगी की “इंडिया लॉन्ड्रोमैट” टिप्पणी पर कहा, “जो उंगली उठा रहे हैं…”

India is moving rapidly towards 'One Nation, One Gas Grid', revolution in energy sector under the leadership of PM Modi: Hardeep Singh Puriचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने व्हाइट हाउस के पूर्व व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की ‘लॉन्ड्रोमैट’ टिप्पणी को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत ने रूसी तेल खरीद में कोई नियम नहीं तोड़ा है और उसका ऊर्जा व्यापार वैश्विक बाजारों को स्थिर करने और कीमतों को नियंत्रण में रखने में सहायक रहा है।

द हिंदू में प्रकाशित एक हस्ताक्षरित लेख में पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत वर्षों से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पाद निर्यातक रहा है, और यूक्रेन युद्ध के बाद भी उसके निर्यात व मुनाफे में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है।

“कुछ आलोचक कहते हैं कि भारत रूसी तेल के लिए ‘लॉन्ड्रोमैट’ बन गया है। इससे बड़ा झूठ कुछ नहीं हो सकता,” पुरी ने बिना नवारो का नाम लिए लिखा।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल की खरीद बढ़ाई, जिससे उसका कुल कच्चा तेल आयात 1% से बढ़कर लगभग 40% हो गया। इससे भारत को सस्ती ऊर्जा मिली लेकिन अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूसी तेल को रिफाइन कर यूरोप को निर्यात करने का आरोप लगाते हुए ‘प्रोफिटियरिंग’ का आरोप लगाया।

पीटर नवारो ने हाल ही में एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक श्रृंखला में युद्ध को ‘मोदी का युद्ध’ करार दिया और भारत पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ‘वॉर मशीन’ को फंड करने का आरोप लगाया।

इसके जवाब में पुरी ने लिखा कि रूसी तेल पर कभी भी ईरानी या वेनेजुएलियन तेल की तरह प्रतिबंध नहीं लगे हैं। यह G-7 और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए मूल्य सीमा तंत्र के तहत आता है, जिसे वैश्विक आपूर्ति बनाए रखते हुए रूसी राजस्व सीमित करने के लिए बनाया गया है।

“हर लेनदेन वैध शिपिंग, बीमा और ऑडिटेड चैनलों के माध्यम से हुआ है। भारत ने कोई नियम नहीं तोड़ा। बल्कि, भारत ने बाजार को स्थिर किया और वैश्विक कीमतों को नियंत्रण में रखा,” पुरी ने कहा।

एक रिपोर्ट में CLSA ब्रोकरेज ने चेतावनी दी थी कि यदि भारत रूसी तेल आयात बंद करता है, तो कच्चे तेल की कीमतें 90-100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। इससे वैश्विक आपूर्ति में 1% यानी लगभग 1 मिलियन बैरल प्रतिदिन की कमी हो सकती है।

पुरी ने यह भी कहा कि भारत वर्षों से कई देशों के क्रूड ऑयल को प्रोसेस करता रहा है, और रूस के युद्ध से पहले ही पेट्रोलियम उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक था।

“यूरोप ने भी रूसी तेल पर प्रतिबंध के बाद भारत से परिष्कृत ईंधन खरीदा। हमारे निर्यात की मात्रा और रिफाइनिंग मार्जिन में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई।”

उन्होंने यह भी बताया कि जब वैश्विक कीमतें बढ़ीं, तो भारत ने आम नागरिकों को राहत देने के लिए सरकारी टैक्स घटाए और सरकारी तेल कंपनियों ने नुकसान झेला।

“हमने सुनिश्चित किया कि एक भी पेट्रोल पंप सूखा न पड़े और घरेलू कीमतें स्थिर बनी रहें।”

अंत में पुरी ने कहा कि वैश्विक तेल आपूर्ति में रूस की भूमिका महत्वपूर्ण है और भारत ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन कर एक संभावित 200 डॉलर प्रति बैरल के संकट को टाल दिया।

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