2030 तक $250 अरब के घरेलू बाजार और $100 अरब निर्यात का लक्ष्य: कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारत के कपड़ा क्षेत्र, जिसकी वर्तमान में कुल वैल्यू $179 अरब है और जिसमें $37.75 अरब का निर्यात शामिल है, ने 2030 तक $250 अरब के घरेलू बाजार और $100 अरब के निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक परामर्श बैठक के दौरान दी।
गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत का कपड़ा क्षेत्र देश की आर्थिक शक्ति और सांस्कृतिक विरासत का गौरवपूर्ण प्रतीक है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र भारत की GDP में लगभग 2 प्रतिशत का योगदान देता है और भारत को 4.1% वैश्विक व्यापार हिस्सेदारी के साथ दुनिया का छठा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक बनाता है।
निर्यात में स्थिर वृद्धि
मंत्री ने बताया कि भारत के कपड़े 220 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं, और देश के 520 से अधिक जिले इस क्षेत्र से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। जुलाई 2025 में भारत का कपड़ा निर्यात 5.37% बढ़कर $3.10 अरब हो गया, जबकि अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच कुल निर्यात $12.18 अरब रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.87% अधिक है।
खंडवार प्रदर्शन
रेडीमेड गारमेंट्स: +7.87%
कालीन (Carpets): +3.57%
जूट उत्पाद: +15.78%
हस्तशिल्प और मैन-मेड फाइबर (MMF): स्थिर प्रदर्शन
मंत्री ने बताया कि भारत की मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) वाले देशों में सकारात्मक रुझान भारत की वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने की क्षमता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि 40 वैश्विक बाजारों में रणनीतिक विस्तार और घरेलू मांग को गहराई देने की तत्काल आवश्यकता है।
GST सुधारों का लाभ
गिरिराज सिंह ने बताया कि हाल ही में संपन्न 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में कपड़ा क्षेत्र के लिए द्वितीय-पीढ़ी के जीएसटी सुधार लागू किए गए, जिससे लागत घटेगी, मांग बढ़ेगी और निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा।
बैठक में शामिल MSME कपड़ा निर्यातकों ने इन सुधारों का स्वागत किया और कहा कि उन्हें निरंतर वित्तीय सहायता, सरल अनुपालन व्यवस्था, और भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और GI टैग वाले स्वदेशी उत्पादों के लिए वैश्विक ब्रांडिंग की आवश्यकता है।
मंत्री ने सुझाव दिया कि यूरोप, अमेरिका और अन्य रणनीतिक बाजारों में गोदाम (warehouses) स्थापित किए जाएं, ताकि विशेष रूप से हस्तशिल्प, हथकरघा और जीवनशैली उत्पादों को ई-कॉमर्स के माध्यम से वैश्विक बाजार में तेजी से पहुंचाया जा सके।