मद्रास हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के वोट धोखाधड़ी के आरोप पर चुनाव आयोग से जवाब मांगने वाली जनहित याचिका खारिज की
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है और एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस याचिका में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा 2024 के आम चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों पर भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
यह जनहित याचिका अधिवक्ता वी. वेंकट शिवकुमार द्वारा दायर की गई थी और इसे मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति जी. अरुल मुरुगन की उच्च न्यायालय की पीठ ने खारिज कर दिया।
अदालत ने तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को देय 1,00,000 रुपये के जुर्माने के साथ रिट याचिका का निपटारा कर दिया। इसने यह भी कहा कि चुनाव आयोग उठाए गए मुद्दों पर अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।
कथित मतदाता सूची धोखाधड़ी को लेकर यह जनहित याचिका कुछ समय पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी द्वारा दिए गए विशेष पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के बाद दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान वोट चोरी की ‘अनुमति’ देने के लिए चुनाव आयोग पर हमला किया था। उन्होंने चुनाव आयोग पर, खासकर कर्नाटक और महाराष्ट्र में, सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुँचाने के लिए मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ने का आरोप लगाया।
याचिकाकर्ता ने अदालत से चुनाव आयोग को राहुल के आरोपों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश देने की माँग की और यह भी माँग की कि इसे सार्वजनिक किया जाए।
याचिकाकर्ता ने अपनी प्रार्थना में कहा, “अदालत प्रतिवादी को निर्देश दे कि वह सभी निर्वाचन क्षेत्रों के संबंधित मतदाता सूची डेटा को मशीन-पठनीय प्रारूप में इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराए, साथ ही इन आरोपों के जवाब में की गई सभी कार्रवाइयों, पूछताछ, ऑडिट और उपायों की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करे, ताकि पारदर्शिता, जनता का विश्वास और हमारे संविधान के अनुच्छेद 324, 14, 19(1)(ए) के अनुसार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के संवैधानिक जनादेश को बनाए रखा जा सके।”
गलत तरीके से तैयार की गई याचिका पर नाराज़गी जताते हुए, अदालत ने कहा कि याचिका में ठोस सामग्री का अभाव है और यह केवल कुछ मंचों पर लगाए गए आरोपों और प्रति-आरोपों पर आधारित है।
इसने कहा कि अपने वर्तमान स्वरूप में याचिका अस्पष्ट है तथा इसमें कोई ठोस विवरण और ब्यौरा नहीं है। साथ ही, यह भी कहा कि चुनाव आयोग को “अपनी स्थिति स्पष्ट करने” के लिए ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता।