सीपी राधाकृष्णन ने 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली

CP Radhakrishnan sworn in as 15th Vice Presidentचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: चंद्रपुरम पोंनुसामी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

इस अवसर पर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और वेंकैया नायडू, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे।

राधाकृष्णन को 9 सितंबर को संपन्न चुनाव में उपराष्ट्रपति चुना गया। एनडीए उम्मीदवार के रूप में उन्हें 452 मत प्राप्त हुए, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार और पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। राज्यसभा महासचिव और निर्वाचन अधिकारी पी.सी. मोदी ने परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कुल 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया, जो 98.2 प्रतिशत मतदान दर को दर्शाता है। इनमें से 752 मत वैध थे जबकि 15 मतों को अमान्य घोषित किया गया, जिससे जीत के लिए जरूरी मतों की संख्या 377 रह गई।

एनडीए को कागज पर 427 सांसदों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 11 सांसदों ने भी राधाकृष्णन को वोट दिया। दिलचस्प बात यह रही कि उन्हें कुल 14 वोट अपेक्षा से अधिक मिले, जिससे विपक्ष की ओर से क्रॉस-वोटिंग की अटकलें तेज हो गई हैं।

परिणामों की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सी.पी. राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कहा कि उनका जीवन हमेशा समाज सेवा और वंचितों के सशक्तिकरण को समर्पित रहा है। प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा, “2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए थिरु सी.पी. राधाकृष्णन जी को बधाई। उनका जीवन समाज सेवा और गरीबों को सशक्त बनाने में समर्पित रहा है। मुझे विश्वास है कि वे एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति सिद्ध होंगे, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करेंगे और संसदीय विमर्श को समृद्ध बनाएंगे।”

गौरतलब है कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक चलना था। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण औपचारिक रूप से स्वास्थ्य संबंधी कारणों को बताया, लेकिन सूत्रों के अनुसार उनके और केंद्र सरकार के बीच मतभेद गहरे हो चुके थे। बताया जा रहा है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के महाभियोग के मुद्दे पर सरकार के रुख से असहमति ही अंतिम कारण बनी।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 की धारा 2 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद पर मृत्यु, इस्तीफे या अन्य किसी कारणवश रिक्ति होने पर चुनाव “यथाशीघ्र” कराए जाने चाहिए, और निर्वाचित व्यक्ति अपने कार्यभार संभालने की तारीख से पांच वर्षों की पूरी अवधि तक पद पर बना रह सकता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं।

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