महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान, तेजस्वी यादव ने 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का किया ऐलान
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: मुज़फ़्फ़रपुर के कांटी में रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के भीतर चल रहे सीट बंटवारे के विवाद के बीच बड़ा बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बिहार को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और अपने पिता एवं आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत को याद दिलाया। उन्होंने कहा,
“हम लौटकर आएंगे, ये याद रखिए। तेजस्वी पूरे 243 सीटों पर मैदान में रहेगा।”
उन्होंने मुज़फ़्फ़रपुर, बोचहां, गायघाट और कांटी जैसी सीटों का खासतौर पर जिक्र करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से राज्यव्यापी तैयारी में जुटने का आह्वान किया। खास बात यह है कि इनमें से कुछ सीटें इस समय कांग्रेस के कब्जे में हैं, जिससे यह संदेश जा रहा है कि RJD अब ‘विवादित सीटों’ पर भी अपना दावा ठोक सकती है।
तेजस्वी यादव हाल ही में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में भी शामिल हुए थे और उन्होंने बीजेपी पर मतदाताओं के अधिकारों को छीनने का आरोप लगाया।
क्या कांग्रेस से बढ़ेगा टकराव?
2020 के विधानसभा चुनाव में RJD ने विपक्षी गठबंधन के तहत 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। वहीं, कांग्रेस को 70 सीटें दी गई थीं लेकिन वह सिर्फ 19 पर ही जीत सकी थी। इस बार कांग्रेस खुद को ज्यादा मजबूत बता रही है और राहुल गांधी की यात्रा तथा ‘वोट चोरी’ के नैरेटिव को जनता में असरदार मान रही है।
तेजस्वी का यह बयान केवल कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने तक सीमित नहीं माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इसे गठबंधन सहयोगियों को साफ संकेत मान रहे हैं कि RJD किसी भी सीट पर दावा छोड़ने के मूड में नहीं है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर भी संदेश?
जब राहुल गांधी से हाल ही में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सवाल किया गया था, तो उन्होंने जवाब टाल दिया था। ऐसे में तेजस्वी यादव का ‘243 सीटों पर चुनाव लड़ने’ का दावा उनके मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को और मजबूत करता है।
फिलहाल महागठबंधन के अन्य सहयोगी—कांग्रेस, वाम दल, वीआईपी, जेएमएम और लोजपा (पारस गुट)—सीट बंटवारे को लेकर खींचतान में उलझे हुए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह बयान न सिर्फ अंदरूनी दबाव बनाने की रणनीति है, बल्कि कार्यकर्ताओं में जोश भरने की भी कोशिश है, ताकि चुनावी मैदान में पार्टी पूरी ताकत के साथ उतरे।