हिंदी दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “हिंदी बने विज्ञान, तकनीक, न्याय और पुलिस प्रशासन की भाषा”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि हिंदी को केवल संपर्क और सरकारी कार्यों की भाषा तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि इसे विज्ञान, तकनीक, न्याय और पुलिस प्रशासन जैसी महत्वपूर्ण क्षेत्रों की आधारशिला बनाना चाहिए।
गृह मंत्री शाह ने पचंम अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “जब सभी कार्य भारतीय भाषाओं में होते हैं, तो यह जनसंपर्क को स्वाभाविक रूप से बढ़ावा देता है।”
उन्होंने कहा कि हिंदी को केवल संवाद या प्रशासन की भाषा के रूप में सीमित नहीं किया जाना चाहिए। इसका विस्तार होना चाहिए ताकि यह विज्ञान, तकनीक, कानून और पुलिस जैसे क्षेत्रों की भी भाषा बने।
शाह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपनी मातृभाषा में गृह मंत्रालय को पत्र लिखने का आग्रह करते हुए कहा कि वे स्वयं भी उन्हें उनकी भाषा में उत्तर देंगे।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार का मार्ग प्रशस्त किया है।
उन्होंने कहा, “भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना के साथ ही अब राजभाषा विभाग एक पूर्ण विभाग बन गया है।”
अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदी अन्य भारतीय भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि मित्र है। उन्होंने ‘सारथी’ सॉफ्टवेयर का उल्लेख करते हुए बताया कि यह विभिन्न भारतीय भाषाओं से हिंदी और हिंदी से अन्य भाषाओं में अनुवाद करने में मदद करता है।
उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां गुजराती और हिंदी दोनों का सामंजस्यपूर्ण विकास हुआ है। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्होंने हिंदी को अपनाकर राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया।
शाह ने यह भी कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा’ पर बल दिया था। “ये तीनों तत्व देश की आत्म-गौरव से जुड़े हैं। जब तक किसी देश की अपनी भाषा नहीं होती, तब तक वह पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हो सकता।”
गृह मंत्री ने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा दिलवाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि “यदि बच्चों को किसी अन्य भाषा में ज्ञान प्राप्त करने के लिए मजबूर किया जाए, तो उनकी सीखने की क्षमता 30% तक कम हो जाती है।”
उन्होंने संस्कृत को भारतीय ज्ञान का स्रोत बताते हुए कहा कि हिंदी ने इस ज्ञान को घर-घर पहुंचाने का कार्य किया है।
एक वीडियो संदेश में शाह ने कहा कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय भाषाओं और संस्कृति का एक नवजागरण काल आया है।
संयुक्त राष्ट्र, जी-20 शिखर सम्मेलन और शंघाई सहयोग संगठन जैसे वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में संवाद कर देश का गौरव बढ़ाया है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के ‘अमृत काल’ में प्रधानमंत्री मोदी ने देश को ‘गुलामी की मानसिकता’ से मुक्त करने के लिए ‘पंच प्रण’ लिए हैं, जिनमें भाषा का भी विशेष स्थान है।
गृह मंत्री ने बताया कि राजभाषा हिंदी ने 76 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं और राजभाषा विभाग ने 50 स्वर्णिम वर्ष पूरे कर इस भाषा को जनभाषा और जनचेतना की भाषा बनाने में ऐतिहासिक कार्य किया है।