SEBI ने अदाणी समूह को दी क्लीन चिट, हिंडनबर्ग के सभी आरोप खारिज
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने गुरुवार को अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी समूह और समूह अध्यक्ष गौतम अदाणी पर लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करते हुए उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है।
SEBI ने दो अलग-अलग आदेशों में स्पष्ट किया कि अदाणी समूह ने किसी भी प्रकार के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। जांच में यह सामने आया कि जिन लेन-देन को “रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन” (संबंधित पक्ष लेन-देन) बताया गया था, वे उस समय की परिभाषा में नहीं आते थे। 2021 में नियमों में संशोधन के बाद ही इन लेन-देन को “रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन” माना जाने लगा।
SEBI ने यह भी कहा कि जिन कंपनियों — Adicorp Enterprises, Milestone Tradelinks और Rehvar Infrastructure — के माध्यम से धन के हस्तांतरण का आरोप लगाया गया था, वे उस समय “असंबंधित पक्ष” थीं और उनके साथ किया गया लेन-देन नियमों के दायरे में आता था।
इसके अलावा, SEBI ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया कि सभी ऋण ब्याज सहित वापस कर दिए गए हैं, और किसी प्रकार की धोखाधड़ी, ग़लत जानकारी या फंड की हेराफेरी नहीं हुई है। इसके आधार पर, Adani Group पर कोई जुर्माना या दंड नहीं लगाया गया, और सभी कानूनी कार्रवाई बिना किसी निर्देश के समाप्त कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि SEBI द्वारा नियमों में किया गया संशोधन वैध है तथा इसमें कोई अनियमितता नहीं पाई गई।
गौरतलब है कि जनवरी 2023 में Hindenburg Research ने एक रिपोर्ट जारी कर Adani Group पर आरोप लगाए थे कि उसने तीन कंपनियों के माध्यम से धन का हस्तांतरण कर नियमों का उल्लंघन किया और निवेशकों को गुमराह किया। इस रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी।
गौतम अदाणी ने तब इन सभी आरोपों को “बेसिरपैर के” और “हमारी दशकों की मेहनत पर सवाल उठाने वाले” बताते हुए खारिज कर दिया था।
SEBI के इस फैसले से अब Adani Group को बड़ी राहत मिली है, और निवेशकों में भी विश्वास बहाल हुआ है। यह फैसला भारतीय बाजार में स्थिरता और पारदर्शिता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।