भारत ने ‘रेल-बेस्ड’ अग्नि प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया, अब चुनिंदा देशों की सूची में शामिल

India successfully test-fires 'rail-based' Agni Prime missile, now joins select group of countriesचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को मध्यम दूरी की परमाणु-सक्षम अग्नि प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण की खास बात यह रही कि इसे भारतीय रेल के एक विशेष प्लेटफॉर्म से दागा गया, जो भारत की सैन्य क्षमताओं में एक बड़ा तकनीकी कदम माना जा रहा है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इसकी जानकारी दी और लॉन्च का वीडियो भी साझा किया। उन्होंने कहा, “यह अपनी तरह का पहला परीक्षण था, जो एक विशेष रूप से डिजाइन किए गए रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर से किया गया। यह प्रणाली पूरे देश के रेल नेटवर्क पर बिना किसी पूर्व शर्त के चल सकती है, जिससे रिएक्शन टाइम कम होता है और पूरे देश में मूवमेंट की सुविधा मिलती है।”

क्या है अग्नि प्राइम और इसका महत्व?

अग्नि प्राइम एक 2,000 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल है जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इसका सफल रेल-बेस्ड परीक्षण भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करता है, जिनमें अमेरिका, रूस और चीन पहले से ही इस तकनीक के मालिक हैं।

रेल-आधारित लॉन्च प्रणाली का मतलब है कि अब भारतीय सेना देश के दूर-दराज इलाकों से भी मिसाइल दाग सकती है, जहां सड़क मार्ग नहीं है, बस रेल पटरी होनी चाहिए। भारत में करीब 70,000 किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क है, जो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है।

इस प्रणाली के फायदे क्या हैं?

  • मिसाइलों को दुश्मन की सैटेलाइट निगरानी से छुपाने में मदद मिलती है, खासकर जब वे रेल सुरंगों के पास तैनात हों।
  • युद्ध के समय पारंपरिक सैन्य अड्डों के बजाए अधिक सुरक्षित और विविध स्थानों से मिसाइलों को स्टोर और लॉन्च किया जा सकता है।
  • प्रतिक्रिया समय कम होता है और देश के किसी भी हिस्से से त्वरित जवाबी हमला संभव होता है।

कुछ चुनौतियाँ भी हैं

  • यह प्रणाली सिर्फ रेल पटरियों पर ही काम कर सकती है, इसलिए यदि किसी क्षेत्र में रेललाइन नहीं है, तो यह बेकार है।
  • लॉन्च के लिए उच्च सटीकता जरूरी होती है, जो हमेशा रेल ट्रैक से संभव नहीं होती।
  • रेल नेटवर्क को युद्ध के समय आसान लक्ष्य बनाया जा सकता है, जैसे कि पटरियों को उड़ा देना या जाम करना।

इतिहास में झांकें तो…

1980 के दशक में सोवियत संघ ने पहली बार RT-23 ‘Molodets’ मिसाइलों को ट्रेन से दागा था। इसके बाद अमेरिका ने भी ‘Peacekeeper Rail Garrison’ कार्यक्रम शुरू किया, हालांकि 1991 में इसे बंद कर दिया गया।

भारत का यह कदम रणनीतिक रूप से बेहद अहम है, क्योंकि भविष्य में यदि कोई दुश्मन देश हमारे मिसाइल ठिकानों को पहले हमले में नष्ट करने की कोशिश करता है, तो रेल-बेस्ड लॉन्च सिस्टम हमें जवाबी हमला करने की क्षमता बनाए रखने में मदद करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *