पीओके में उबाल: सरकार विरोधी प्रदर्शनों से मचा हड़कंप, पाकिस्तानी सुरक्षाबलों से झड़पें

PoK on the boil: Anti-government protests spark clashes with Pakistani security forces
(Screengrab/Twitter Video)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली:  पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हालात गृहयुद्ध जैसे बनते जा रहे हैं। अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में स्थानीय जनता ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। दुकानों की तालाबंदी, सड़कों पर नाराज लोगों की भीड़ और सुरक्षाबलों से हिंसक झड़पों ने पूरे क्षेत्र में तनाव फैला दिया है।

पीओके के विभिन्न जिलों में प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी पुलिस और अर्धसैनिक बलों, विशेष रूप से फ्रंटियर कोर के जवानों से सीधे टकराव किया। कई जगहों पर लोगों ने जवानों के डंडे, हेलमेट और ढालें तक छीन लीं। एबीपी न्यूज़ को मुज़फ्फराबाद के कोहाला इलाके से मिली एक्सक्लूसिव तस्वीरों और वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों की पिटाई कर रहे हैं और उनके उपकरण लूट रहे हैं।

स्थिति संभालने के लिए भारी फोर्स की तैनाती

बढ़ते विरोध को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने पीओके में 2,000 से अधिक अर्धसैनिक बलों और इस्लामाबाद पुलिस को तैनात किया है। हालांकि, इसका जवाब प्रदर्शनकारियों ने पथराव और जबरदस्त विरोध से दिया है।

चाहे मीरपुर हो, मुज़फ्फराबाद या रावलकोट—हर जगह दुकानें बंद हैं और लोग सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे हैं। विरोध की प्रमुख वजहें हैं– संसाधनों के असमान वितरण, स्थानीय प्रतिनिधित्व की कमी, और जीवन-जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतें। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें आटा, चावल और दाल जैसी वस्तुओं पर सब्सिडी दी जाए।

नीलम-झेलम और मंगला बांध जैसी परियोजनाओं से पीओके की नदियों का दोहन कर बिजली तो पैदा होती है, मगर इसका लगभग 60% हिस्सा पाकिस्तान के पंजाब और अन्य प्रांतों को जाता है। वहीं, स्थानीय कश्मीरियों को न तो बिजली का फायदा मिल रहा है और न ही क्षेत्रीय विकास का।

शिक्षा और स्वास्थ्य की जगह आतंकवाद का केंद्र

1948 से अब तक पाकिस्तान ने पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान को केवल एक रणनीतिक ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल किया है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद हैं—पीओके में सिर्फ छह सरकारी कॉलेज और दो मेडिकल कॉलेज हैं, वो भी गंभीर संसाधन संकट से जूझ रहे हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान सरकार और सेना के सहयोग से 12 से अधिक बड़े और 20 से ज्यादा मध्यम स्तर के आतंकी प्रशिक्षण शिविर यहां चल रहे हैं।

महंगाई ने तोड़ी कमर, भारत से तुलना से खुली पोल

पीओके में जरूरी सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं—चावल ₹301, आटा ₹110, लाल मसूर दाल ₹360 और अरहर दाल ₹710 प्रति किलो (पाकिस्तानी रुपये)। वहीं भारत में ये सभी वस्तुएं बेहद सस्ती हैं—बासमती चावल ₹110, आटा ₹42 और अरहर दाल ₹112 प्रति किलो (भारतीय रुपये)। यह अंतर कश्मीरियों की नाराजगी को और भड़का रहा है।

पीओके में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध अब महज प्रदर्शन नहीं रह गया, बल्कि एक जनांदोलन का रूप ले चुका है। संसाधनों की लूट, महंगाई, राजनीतिक शोषण और विकास की कमी ने लोगों को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। सवाल यह है कि क्या इस बगावत की आग पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से में बड़े बदलाव की शुरुआत बनेगी?

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