पुणे भूमि सौदा विवाद पर बोले अजित पवार, “मेरे बेटे को नहीं थी ज़मीन के सरकारी होने की जानकारी, सौदा रद्द किया गया”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली:
मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुणे में अपने बेटे पार्थ पवार के खिलाफ उठे सरकारी ज़मीन ख़रीद विवाद पर सफ़ाई दी है। उन्होंने कहा कि पार्थ और उनके बिज़नेस पार्टनर को यह जानकारी नहीं थी कि जिस ज़मीन का सौदा उनकी कंपनी ने किया था, वह राज्य सरकार की संपत्ति है। पवार ने स्पष्ट किया कि यह विवादास्पद सौदा अब पूरी तरह रद्द कर दिया गया है।
यह मामला 40 एकड़ की एक ज़मीन से जुड़ा है, जिसे कथित रूप से अमेडिया एंटरप्राइजेज नामक फर्म को बेचा गया था। इस कंपनी में पार्थ पवार साझेदार हैं। आरोप है कि सरकारी ज़मीन को कम कीमत पर बेचा गया, जबकि उसका बाज़ार मूल्य लगभग ₹1,800 करोड़ बताया जा रहा है। यह सौदा करीब ₹300 करोड़ में तय हुआ था, जिसमें प्रक्रियागत अनियमितता और राजनीतिक दबाव के आरोप लगाए गए हैं।
अजित पवार ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त समिति इस पूरे मामले की जांच कर रही है और एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी। राजस्व सचिव की अंतरिम रिपोर्ट में पहले ही लेन-देन में गंभीर गड़बड़ियों की ओर संकेत किया गया है।
“सौदे से जुड़े दस्तावेज़ों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। इस संबंध में अधिकारियों को हलफनामा सौंप दिया गया है। एक भी रुपया किसी के हाथ नहीं लगा। संबंधित ज़मीन सरकारी है और उसे बेचा नहीं जा सकता,” अजित पवार ने कहा।
पवार ने आगे कहा कि पार्थ पवार और उनके साथी दिग्विजय पाटिल इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ थे कि ज़मीन सरकारी है। उनके अनुसार, यह केवल खरीद समझौते (एग्रीमेंट टू परचेज) तक सीमित था; न तो खरीदारों ने भुगतान किया, न ही ज़मीन का कब्ज़ा लिया गया। इसलिए, यह लेन-देन अधूरा रह गया।
उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों की ज़िम्मेदारी तय करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई गई है। समिति को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
अजित पवार ने यह भी साफ़ किया कि किसी अधिकारी पर पार्थ की कंपनी को ज़मीन हस्तांतरित करने के लिए कोई दबाव नहीं डाला गया था।
विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। बिक्री विलेख से जुड़े अन्य लोगों, जिनमें खरीदार फर्म का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और एक निलंबित उप-पंजीयक शामिल हैं, के खिलाफ धोखाधड़ी, गबन और स्टाम्प शुल्क चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है।
अजित पवार ने स्पष्ट किया कि प्राथमिकी में पार्थ पवार का नाम शामिल नहीं है, क्योंकि वे दस्तावेज़ों के पंजीकरण के समय मौजूद नहीं थे। केवल तीन लोग, जिनमें साझेदार दिग्विजय पाटिल शामिल हैं, ही रजिस्ट्रार कार्यालय गए थे।
उन्होंने कहा, “मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर जांच में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो मेरे रिश्तेदारों से जुड़े किसी भी अन्य भूमि सौदे को तुरंत रद्द किया जाए और कानूनी कार्रवाई की जाए।”
सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार को अजित पवार ने इस मुद्दे पर लगातार बैठकों की श्रृंखला की। उन्होंने सुबह पार्टी नेताओं प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे के साथ अपने देवगिरी आवास पर चर्चा की, और शाम को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से वर्षा बंगले पर मुलाक़ात कर स्थिति की समीक्षा की।
