भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका: ईडन गार्डेन्स पर स्पिन की ‘टेस्ट’
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट से पहले भारतीय टीम अच्छी तरह जानती है कि मुकाबले की असली जंग कहाँ लड़ी जानी है। युवा खिलाड़ियों के आत्मविश्वास और नई ऊर्जा की तमाम चर्चाओं के बावजूद, पिछले साल न्यूज़ीलैंड के खिलाफ मिली करारी हार की यादें अब भी ताज़ा हैं।
एजाज पटेल, मिशेल सैंटनर और ग्लेन फिलिप्स की स्पिन तिकड़ी ने उस सीरीज़ में 36 विकेट लेकर भारत को घरेलू मैदान पर 0-3 की शर्मनाक हार झेलने पर मजबूर किया था।
अब वही भारत एक ऐसी दक्षिण अफ्रीकी टीम के सामने है जिसने अपने तेज़ गेंदबाज़ी वर्चस्व से हटकर स्पिन को अपना मुख्य हथियार बना लिया है।
दक्षिण अफ्रीका का रूपांतरण: तेज़ी से स्पिन की ओर
पाकिस्तान के खिलाफ हालिया 1-1 ड्रॉ सीरीज़ ने दक्षिण अफ्रीका के आत्मविश्वास को नई दिशा दी है। कप्तान टेम्बा बावुमा की गैरमौजूदगी के बावजूद, केशव महाराज, साइमन हार्मर और सेनुरन मुथुसामी ने 39 में से 35 विकेट लेकर साबित किया कि यह टीम अब धीमी पिचों पर भी मैच की दिशा तय कर सकती है।
यह बदलाव भारतीय थिंक-टैंक की नज़र से बचा नहीं है। भारत के सहायक कोच रयान टेन डोएशेट ने भी स्वीकार किया, “उनके पास चार स्पिनर हैं, और संभव है कि वे तीन के साथ उतरें। यह कुछ-कुछ उपमहाद्वीपीय टीम के खिलाफ खेलने जैसा होगा। हमने न्यूज़ीलैंड सीरीज़ से सीख ली है, और इस बार तैयार हैं।”
साइमन हार्मर इस बदलाव के सबसे बड़े प्रतीक हैं। 2015 में भारत दौरे के दौरान उन्होंने चेतेश्वर पुजारा, रोहित शर्मा और रिद्धिमान साहा जैसे नामी बल्लेबाज़ों को आउट किया था। दस साल बाद, 1,000 से अधिक प्रथम श्रेणी विकेट और रावलपिंडी टेस्ट में आठ विकेट लेकर वे अब कहीं अधिक अनुभवी और घातक गेंदबाज़ बन चुके हैं।
महाराज अब भी इस स्पिन आक्रमण की धड़कन हैं—लंबे स्पैल फेंकने की क्षमता और सटीकता के साथ दबाव बनाने की कला उनके पास है। वहीं मुथुसामी दूसरी ओर से स्थिरता और विविधता प्रदान करते हैं। तेज़ गेंदबाज़ी से जुड़ी पहचान के बावजूद यह दक्षिण अफ्रीका अब एक नई सोच के साथ मैदान पर उतरने को तैयार है।
ईडन गार्डन्स: हर विभाग के लिए मौका
इसी बदलाव के कारण कोलकाता की ईडन गार्डन्स पिच पर निगाहें टिकी हुई हैं। सीएबी अध्यक्ष सौरव गांगुली ने स्वयं कई बार पिच का निरीक्षण किया है और कहा है कि,
“पिच बहुत ज़्यादा टर्न लेने वाली नहीं होगी।”
कप्तान शुभमन गिल और बल्लेबाज़ी कोच सीतांशु कोटक ने भी पिच का बारीकी से अध्ययन किया है, क्योंकि उन्हें पता है कि यह सतह बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों—दोनों के लिए अवसर पैदा कर सकती है।
आँकड़ों की मानें तो, पिछले 15 वर्षों में ईडन पर टेस्ट मैचों में 61% विकेट तेज़ गेंदबाज़ों ने लिए हैं, जिनमें नई गेंद की शुरुआती स्विंग और बाद में रिवर्स स्विंग का बड़ा योगदान रहा है। यह आँकड़ा जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे गेंदबाज़ों के लिए उत्साहजनक है। स्थानीय तेज़ गेंदबाज़ आकाश दीप को भी पिच की स्थानीय समझ के कारण चयन में बढ़त मिल सकती है।
भारत की चुनौती: स्पिन के खिलाफ संयम और संतुलन
विदेशों में, खासकर इंग्लैंड में 2-2 की बराबरी से सीरीज़ ड्रॉ कराने के बाद शुभमन गिल की कप्तानी में भारत ने लचीलापन तो दिखाया है, पर घरेलू पिचों पर स्पिन के खिलाफ कमजोरियाँ अब भी बरक़रार हैं। वेस्टइंडीज़ पर 2-0 की आसान जीत से टीम का आत्मविश्वास तो बढ़ा, पर असली कसौटी अब दक्षिण अफ्रीका के रूप में सामने है।
ऋषभ पंत की फिटनेस और ध्रुव जुरेल के बल्लेबाज़ के तौर पर खेलने की संभावना से मध्यक्रम को मजबूती मिलेगी। वहीं वाशिंगटन सुंदर, रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल और कुलदीप यादव जैसी स्पिन चौकड़ी टीम को शानदार हरफनमौला संतुलन प्रदान करती है।
ऐतिहासिक रिकॉर्ड: मामूली बढ़त प्रोटियाज़ के पास
टेस्ट इतिहास में दक्षिण अफ्रीका का पलड़ा थोड़ा भारी रहा है। अब तक दोनों टीमों के बीच 44 टेस्ट खेले गए हैं—जिनमें दक्षिण अफ्रीका ने 18, भारत ने 16 जीते हैं, जबकि 10 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं। भारत में खेले गए 19 टेस्ट में हालांकि मेज़बान टीम का दबदबा रहा है: 11 जीत, 5 हार और 3 ड्रॉ।
दक्षिण अफ्रीका ने आख़िरी बार 2010 में भारतीय ज़मीन पर कोई टेस्ट जीता था—और मौजूदा विश्व टेस्ट चैंपियन इस बार वह सूखा खत्म करने को बेकरार है।
कोलकाता का मौसम
14 से 18 नवंबर के बीच बारिश की कोई संभावना नहीं है। सुबह के समय हल्की नमी तेज़ गेंदबाज़ों को मदद देगी, जबकि दिन चढ़ने के साथ पिच सख्त होती जाएगी और बल्लेबाज़ों के लिए रन बनाना आसान होगा। तीसरे और चौथे दिन तक सतह में टूटन आने की उम्मीद है, जिससे जडेजा और सुंदर जैसे स्पिनर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
