भारतीय क्रिकेट टीम प्रबंधन की कार्यशैली पर उठ रहे ‘गंभीर’ सवालों का जबाव कोच गौतम के पास नहीं

Coach Gautam has no answers to the 'serious' questions being raised about the functioning of the Indian cricket team managementचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट ट्विटर पर बुधवार, 26 नवंबर को खत्म हुए टेस्ट सीरीज़ के बाद गौतम गंभीर की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने माहौल पूरी तरह गर्म कर दिया। दक्षिण अफ्रीका से गुवाहाटी में 408 रनों की ऐतिहासिक हार झेलने के बाद यह तो पहले ही तय था कि गंभीर को कठिन सवालों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन जिस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस आगे बढ़ी, उसने चर्चा को एक बिल्कुल अलग दिशा दे दी।

टीम प्रबंधन की कार्यशैली पर उठ रहे सवालों के बीच कई प्रशंसकों ने तंज कसते हुए कहा कि अगर किसी वजह से कोच पर कार्रवाई होनी चाहिए, तो वह उनकी यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ही है। गंभीर ने अपनी परिचित दृढ़ आवाज़ में जवाब देने की कोशिश की, लेकिन इस बार वे बार-बार असहज दिखाई दिए, कई दफा बात गड़बड़ाई और कुछ ही क्षणों के भीतर वे अपने ही बयान को उलटते दिखे। उनकी प्रस्तुति न केवल टीम की रणनीति पर नए सवाल खड़े कर गई, बल्कि यह भी साफ कर गई कि मौजूदा परिस्थितियों में भारतीय टेस्ट टीम जिन चुनौतियों से जूझ रही है, उनमें संचार की स्पष्टता और दिशा की कमी भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है।

शुरुआत में उन्होंने फिर दोहराया कि उन्हें ‘ट्रांज़िशन’ शब्द पसंद नहीं है, लेकिन तुरंत बाद वही शब्द इस्तेमाल करते हुए कहा कि वर्तमान बल्लेबाज़ी लाइन-अप के कई खिलाड़ियों के पास 15–20 टेस्ट मैचों का भी अनुभव नहीं है और उन्हें क्वालिटी अटैक के खिलाफ निखरने के लिए समय चाहिए। मजेदार बात यह रही कि इसी ‘ट्रांज़िशन’ को वे पहले स्वीकार करने से इनकार कर रहे थे। टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देने की उनकी पुरानी सलाह भी उनके ही कार्यकाल में फीकी पड़ती दिख रही है।

रेड-बॉल विशेषज्ञों की जगह ऑलराउंडर्स पर अधिक निर्भरता, एक विशेषज्ञ गेंदबाज़ कम खिलाने की रणनीति और रणजी में लगातार प्रदर्शन करने वाले सारफ़राज़ ख़ान व अभिमन्यु ईश्वरन जैसे खिलाड़ियों की अनदेखी ने आलोचना को और बढ़ाया है।

गंभीर ने एक बार फिर टेस्ट क्रिकेट के महत्व पर ज़ोर दिया, लेकिन उनकी टीम चयन और वास्तविक प्राथमिकताओं में यह झलक नहीं पा रहा। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने बार-बार कहा कि क्रिकेट किसी एक व्यक्ति पर नहीं चलता, लेकिन तुरंत बाद खुद को 2025 की चैंपियंस ट्रॉफी और एशिया कप का विजेता कोच बताते हुए क्रेडिट लेने से भी नहीं चूके।

यह वही गंभीर थे जो कुछ पलों पहले इस खेल को सामूहिक प्रयास बताते नज़र आ रहे थे। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या जीत सामूहिक होती है और हार किसी एक खिलाड़ी या युवा टीम की नासमझी का नतीजा? पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस ने शोर कम करने के बजाय और बढ़ा दिया।

टीम दो दिग्गजों के बाद नए रास्ते तलाश रही है, चयन को लेकर भ्रम है, और नेतृत्व समूह भी उतना स्पष्ट नहीं दिखता जितनी उम्मीद थी। ऐसे में युवा टीम को दिशा दिखाने की जिम्मेदारी गंभीर की ही है, क्योंकि कप्तान और खिलाड़ी तभी आगे बढ़ेंगे जब ड्रेसिंग रूम से निकलने वाला संदेश साफ, स्थिर और भरोसेमंद हो। इस सीरीज़ के बाद यह साफ हो गया है कि अब जिम्मेदारी से भागने की गुंजाइश नहीं है।

यह गंभीर की टीम है, उनके फैसले हैं, और भारतीय टेस्ट क्रिकेट किस दिशा में जाएगा, यह अब उनकी स्पष्टता—या उसकी कमी—पर ही निर्भर करेगा।

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