सेलुलर जेल लौटे रणदीप हुड्डा, ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ के सफर से जुड़ी यादें हुईं ताज़ा

Randeep Hooda returns to Cellular Jail, reliving memories associated with his journey for 'Swatantrya Veer Savarkar'.चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा हाल ही में पोर्ट ब्लेयर स्थित ऐतिहासिक सेलुलर जेल पहुंचे, जहां उनकी यह यात्रा भारतीय इतिहास के साथ-साथ उनके फिल्मी सफर से भी गहराई से जुड़ी रही। इस जेल का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहीं रणदीप हुड्डा ने अपनी पहली निर्देशित फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर के अहम हिस्सों की शूटिंग की थी। यह फिल्म मार्च 2024 में रिलीज़ हुई थी और स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित है।

रविवार को रणदीप ने इस विजिट की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं। तस्वीरों के साथ उन्होंने एक भावुक नोट लिखा, जिसमें सेलुलर जेल के ऐतिहासिक महत्व और अपने निजी जुड़ाव को शब्दों में बयां किया। उन्होंने लिखा,

“श्री विजयपुरम (पोर्ट ब्लेयर)। सेलुलर जेल। सागर प्राण तरमाला के 115 साल! उसी सेलुलर जेल में दोबारा जाना, जहां वीर सावरकर ने कभी असहनीय कष्ट सहे थे, जहां मैंने स्वातंत्र्य वीर सावरकर का एक बड़ा हिस्सा शूट किया था और कभी खूंखार ‘काला पानी’ कही जाने वाली जगह पर उनकी मूर्ति का अनावरण देखना, बेहद निजी अनुभव रहा। इतिहास भले ही धीरे याद रखे, लेकिन सच्चाई हमेशा कायम रहती है।”

49 वर्षीय अभिनेता ने बताया कि यह यात्रा उनके लिए सम्मान और पहचान का एक विशेष क्षण भी बन गई। रणदीप ने लिखा कि उन्हें इसी ऐतिहासिक स्थल पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने और पहचान मिलने का अवसर मिला, जिसने इस अनुभव को और भी यादगार बना दिया।

उन्होंने आगे कहा, “उस जगह पर मौजूद होना, जिसने वीर सावरकर के अपार बलिदान को देखा है, मेरे लिए बेहद विनम्र कर देने वाला क्षण था। पोर्ट ब्लेयर में इतिहास, बलिदान और लंबे समय से लंबित सम्मान एक साथ आए। वीर सावरकर की विरासत आज भी जीवित है, और आखिरकार उन्हें उसी स्थान पर सम्मान मिला, जहां उन्होंने अकल्पनीय कठिनाइयों का सामना किया था। वंदे मातरम।”

गौरतलब है कि स्वातंत्र्य वीर सावरकर एक बायोपिक ड्रामा है, जो विनायक दामोदर सावरकर के जीवन, विचारधारा और क्रांतिकारी संघर्ष को दर्शाती है। फिल्म में उनके सेलुलर जेल में बिताए गए वर्षों, स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका, साथ ही उनकी विरासत से जुड़े विवादों और बहसों को भी दिखाया गया है। रणदीप हुड्डा द्वारा निर्देशित और अभिनीत इस फिल्म में सावरकर को कवि, विचारक और राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत किया गया है। फिल्म में अंकिता लोखंडे और तीर्थ मुरबाडकर भी अहम भूमिकाओं में नजर आए हैं।

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