SIR के बाद जयपुर जिले की वोटर लिस्ट में बड़ा बदलाव, 5.36 लाख से ज़्यादा नाम हटे

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के बाद जयपुर जिले की मतदाता सूची में बड़ा बदलाव सामने आया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा मंगलवार को जारी की गई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के अनुसार, जिले के 17 विधानसभा क्षेत्रों से 5.36 लाख से अधिक वोटरों के नाम हटा दिए गए हैं। इसका मतलब यह है कि जयपुर में लगभग हर नौवां वोटर ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर हो गया है।
ड्राफ्ट सूची के मुताबिक, वोटर लिस्ट से नाम हटाने के प्रमुख कारणों में माइग्रेशन, मतदाताओं की मृत्यु और डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन शामिल हैं। इसके अलावा, 1.90 लाख वोटरों का नाम वर्ष 2002 की वोटर लिस्ट से मेल नहीं खा पाया है। ऐसे मतदाताओं को अब अपनी नागरिकता और पात्रता साबित करने के लिए निर्धारित दस्तावेज़ जमा करने होंगे।
15 जनवरी तक दावे और आपत्तियों का मौका
निर्वाचन आयोग ने प्रभावित मतदाताओं को राहत देते हुए दावे और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 15 जनवरी तक का समय दिया है। जिन मतदाताओं का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है या जिनकी प्रविष्टियों में त्रुटि है, वे इस अवधि के दौरान संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर के पास आवेदन कर सकते हैं। वेरिफिकेशन और सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद फाइनल वोटर लिस्ट जारी की जाएगी।
सांगानेर पर पड़ा सबसे बड़ा राजनीतिक असर
SIR प्रक्रिया का सबसे ज़्यादा असर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के विधानसभा क्षेत्र सांगानेर में देखने को मिला है। यहां कुल 3,74,735 रजिस्टर्ड वोटरों में से 61,674 नाम (लगभग 16.46 प्रतिशत) ड्राफ्ट लिस्ट से हटा दिए गए हैं। इसके अलावा, 24,465 वोटर अभी भी ‘अनमैप्ड’ श्रेणी में हैं।
सिविल लाइंस में सबसे ज़्यादा, चोमू में सबसे कम नाम कटे
सभी विधानसभा क्षेत्रों में सिविल लाइंस सीट पर सबसे ज़्यादा नाम हटाए गए हैं। यहां कुल 2,49,187 वोटरों में से 49,474 नाम (19.85 प्रतिशत) ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर कर दिए गए। वहीं, चोमू विधानसभा क्षेत्र में SIR का असर सबसे कम रहा, जहां 2,57,463 मतदाताओं में से केवल 8,806 नाम (3.42 प्रतिशत) हटाए गए हैं।
कुल आंकड़ों पर एक नज़र
SIR से पहले जयपुर जिले के 17 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 48,23,379 मतदाता पंजीकृत थे। 5,36,276 नाम हटने के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में अब 42,87,103 मतदाता रह गए हैं। यह कुल मतदाताओं का लगभग 11.12 प्रतिशत है।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ‘नो-मैपिंग’ श्रेणी में आने वाले 1,90,022 मतदाताओं को अपनी पात्रता साबित करने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा तय किए गए 13 दस्तावेज़ों में से आवश्यक प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इन मतदाताओं के नाम फाइनल वोटर लिस्ट में शामिल किए जाएंगे।
