योगी आदित्यनाथ ने “दो नमूनों” की बात की, अखिलेश यादव ने स्क्रिप्ट पलट दी
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हालिया “दो नमूने” वाली टिप्पणी पर सियासी हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। यह टिप्पणी कथित तौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए की गई थी। इस बयान पर अखिलेश यादव ने कड़ा पलटवार करते हुए इसे भारतीय जनता पार्टी के भीतर चल रहे सत्ता संघर्ष का “कबूलनामा” बताया है।
दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश विधानसभा में बोलते नजर आ रहे हैं। विपक्ष ने राज्य में कोडाइन युक्त कफ सिरप की कथित तस्करी को लेकर सरकार को घेरा था और आरोप लगाया था कि समय पर कार्रवाई होती तो सैकड़ों बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। मुख्यमंत्री ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में कफ सिरप के सेवन से एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई है।
इसी दौरान, बिना किसी का नाम लिए उन्होंने कहा, “दो नमूने हैं—एक दिल्ली में और दूसरा लखनऊ में। जब भी देश में कोई गंभीर चर्चा होती है, वह विदेश भाग जाता है। लगता है आपके बबुआ के साथ भी ऐसा ही होने वाला है। वह इंग्लैंड चला जाएगा और आप लोग यहीं शोर मचाते रहेंगे।”
हालांकि मुख्यमंत्री ने किसी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन इस टिप्पणी को राहुल गांधी और अखिलेश यादव से जोड़कर देखा गया। इससे पहले भी योगी आदित्यनाथ विपक्षी नेताओं पर तीखे व्यंग्य कर चुके हैं। बिहार चुनावों से पहले एक रैली में उन्होंने राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव को लेकर “तीन बंदर” वाली टिप्पणी की थी, जिस पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
अब “दो नमूने” वाली टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि किसी ने नहीं सोचा था कि दिल्ली और लखनऊ की कथित लड़ाई इस स्तर तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को मर्यादा में रहना चाहिए और भाजपा को अपनी आंतरिक कलह सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के बयान का वीडियो साझा किए जाने के कुछ ही मिनटों बाद यादव की यह प्रतिक्रिया सामने आई।
समाजवादी पार्टी लगातार यह दावा करती रही है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के बीच सत्ता को लेकर खींचतान चल रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि उपमुख्यमंत्री और कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों की नियुक्तियों का उद्देश्य मुख्यमंत्री की शक्तियों को सीमित करना है। हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने इन सभी अटकलों को खारिज करते हुए साफ कहा है कि वह पार्टी के समर्थन से ही मुख्यमंत्री के पद पर हैं।
