मैथिली नाटक ‘जनकनंदिनी’: क्षेत्रीय मंच से भारत रंग महोत्सव तक की प्रेरक यात्रा
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: मैथिली रंगमंच के लिए प्रतिबद्ध संस्था ‘मैलोरंग’ यानी मैथिली लोक रंग दिल्ली में वर्ष 2006 से लगातार मैथिली रंगमंच के लिए सक्रिय है। रंगमंडल ने कई उत्कृष्ठ नाटकों का मंचन देश के विभिन्न शहरों में किया है। इस वर्ष भी मैथिली नाटक ‘जनकनंदिनी’ का चयन विश्व के सबसे बड़े नाट्य महोत्सव 25वें ‘भारत रंग महोत्सव’, 2026 तथा ‘त्रिवेणी कला नाट्य समारोह’, दिल्ली में हुआ है। नाटक ‘जनकनंदिनी’ का लेखन, परिकल्पना एवं निर्देशन मैथिली भाषा के वरिष्ठ रंग निर्देशक डॉ. प्रकाश झा ने किया है।
इससे पहले भी ‘आब मानि जाऊ’, ‘धूर्तसमागम’ नाटकों का चयन भारत रंग महोत्सव में हो चुका है। पिछले वर्षों में भी संस्था मैलोरंग द्वारा ‘गोरक्षविजय’, मिनाक्षी, बाबा यात्री, बिजहो, बड्ड मुश्किल छै आदि नाटकों का मंचन किया गया।
जनकनंदिनी ‘सीता’ का चरित्र विश्वन के संवेदनशील समाज को रहस्यममय नारी चरित्र के रूप में आकर्षित करती रही है। मिथिला के लोगों के लिए तो वह उनकी बहन है, बेटी है। उनके अनुजों के मन में हजारों प्रश्नन घर कर बैठा है, जिसे वह अपनी बहन जनकनंदिनी से पूछना चाहता है। यह प्रश्न ही अपनी बहन के प्रति मिथिला के भाइयों का प्रेम है, गुस्सा है, अपनापन है। इसे ही ‘जनकनंदिनी’ के रूप में व्यक्त करने की एक कोशिश है।
‘जनकनंदिनी’ के बहाने ही अपने समाज से भी मुखातिब होने का मौका हासिल किया है निर्देशक ने। इस नाट्य प्रस्तुति की विशेषता है कि मंच पर सभी पात्र स्त्रियाँ ही हैं। जो बारी बारी से सीता यानी जनकनंदिनी का रूप धारण करती है। सभी संवाद ‘गेय’ रूप में तथा मिथिला के पारम्परिक लोकधुनों से सजा हुआ है, जो बार बार दर्शकों को आह्लादित करता है।
नाट्यालेख ‘जनकनंदिनी’ में सीता अपनी सखियों के बीच लौट आयी हैं। सखियाँ सीता को देख कर कभी भावुक होती हैं, तो कभी उस पर तंज भी कसती है। सुनी सुनाई वाद-अपवाद को सखी सीता से पूछ कर उसे सत्यापित करना चहती है। जनकलली भी अपनी सहेलियों के संग निर्भिक हो, वह सब कुछ बोलतीं हैं, जिसे वह आज तक कहीं बोल नहीं सकी थी। अपने जीवन की खट्ठी-मीठी सभी परतों को खोलती चली जाती है, पर वह क्षण के लिए भी अपने राघव से दूर नहीं होती है। वह अपने प्राणप्रिय राघव से नाराज तो है, पर प्रेम की डोर से बंधी हुई है। ‘जनकनंदिनी’ नाट्य प्रस्तुति सीता के बहाने वर्तमान बेटियों की संयमित मौन गथा भी है।
भारत रंग महोत्सव विश्व का सबसे प्रतिष्ठित एवं सबसे बड़ा नाट्य महोत्सव है। इसमें नाटकों के चयन की प्रक्रिया कई मापदंडों से गुजरती है। वर्ष 2026 में इस आयोजन का 25 वाँ वर्ष है। ऐसे अवसर पर मैथिली नाटक ‘जनकनंदिनी’ का चयन होना, सचमुच मिथिला समाज के लिए गौरव का क्षण है। ‘त्रिवेणी नाट्य समारोह’, दिल्ली में इसकी दो प्रस्तुतियाँ 21 जनवरी, 2026 को त्रिवेणी कला संगम सभागार, मण्डी हाउस, दिल्ली में होना है। 25वें ‘भारत रंग महोत्सव’, 2026 में यह प्रस्तुति दिनांक 30 जनवरी, 2026 को असम राज्य के नौगॉव में होना सुनिश्चित हुआ है।
