राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए डीयू की कमिटी का एएडी–यूटीएफ ने किया विरोध

AADTA submits memorandum to Delhi Education Minister Atishi, demanding resolution of financial issues of DU funded collegesचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को डीयू में लागू करने के लिए 25 सितम्बर 2020 को प्रशासन ने मनमाने तरीके से जो समिति बनाई है, एएडी-यूटीएफ उसका पुरजोर विरोध करता है। इस बाबत इनके एसी और ईसी के सदस्यों ने प्रभारी वीसी को एक विरोध पत्र लिखा है जिसमे ये कहा गया है कि उन्होंने हमेशा इस तरह से मनमाने तरीके से कमिटी या वर्किंग ग्रुप को बनाये जाने का विरोध किया है। आखिर क्यूँ एसी और ईसी जैसी वैधानिक संस्थाओ को दरकिनार कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हम पर थोपा जा रहा है?

एएडी–यूटीएफ की तरफ से जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि आज मनमाने तरीके से कमिटी को बनाकर प्रशासन अपने मंसूबे आसानी से पूरे कर सकता है पर विधायी समितियों को दरकिनार करने का खामियाजा विश्वविद्यालय को लंबे समय तक भोगना पड़ेगा।

एएडी–यूटीएफ ने कहा है कि डीयू प्रशासन ने जो 25 सितम्बर को इस नीति को लागू करने के लिए कमिटी बनाई है उसका कोई वैधानिक आधार नही है। विधायी समितियों को दरकिनार करने से उच्च शिक्षा के भागीदारी वाली और आकमिक चरित्र के आते हुए अंत के लिए खतरे की घंटी है।

“राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ज्यों का त्यों लागू करने से सार्वजनिक क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों को निजीकरण के रास्ते पर धकेल दिया जाएगा और हम ऋण लेने के लिए मजबूर हो जाएंगे। अतएव डीयू एक्ट 1922 के परिधि में इस नीति पर पहले सभी स्तरों पर बहस हो, जिसमे छात्रों, शिक्षको और कर्मचारियों की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो।“ एएडी–यूटीएफ ने इस मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन को भी पत्र लिखा है।

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