आतंकवाद के खिलाफ कड़ी नीति को लेकर अमेरिकी दौरे पर शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन पहुंचा

All-party parliamentary delegation led by Shashi Tharoor arrives in Washington on US visit to highlight India's tough policy against terrorismचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की वैश्विक कूटनीतिक पहल को आगे बढ़ाते हुए, कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डी.सी. पहुंचा है। यह दो दिवसीय यात्रा भारत की आतंकवाद विरोधी मजबूत और एकजुट स्थिति को अमेरिका और वैश्विक मंच पर रखने का प्रयास है।

प्रतिनिधिमंडल के आगमन पर अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने उनका स्वागत किया। इससे पहले प्रतिनिधिमंडल गयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील की सफल यात्राओं को पूरा कर चुका है। अमेरिका यह वैश्विक अभियान का अंतिम पड़ाव है।

भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन डी.सी. पहुंचा। अगले दो दिनों में यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों, प्रशासन, थिंक टैंक, मीडिया और नीति निर्माताओं से मुलाकात करेगा और ऑपरेशन सिंदूर तथा आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी नीति पर चर्चा करेगा।”

अमेरिका में पाकिस्तान से होगी कूटनीतिक टक्कर

दिलचस्प बात यह है कि भारत का यह प्रतिनिधिमंडल ऐसे समय में अमेरिका पहुंचा है, जब पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भी वहीं मौजूद है। लेकिन शशि थरूर ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी बात मजबूती से दुनिया के सामने रखेगा और आतंकवाद पर कोई नरमी नहीं दिखाएगा।

थरूर का कड़ा संदेश: “संवाद नहीं, पहले आतंकवाद का ढांचा खत्म करें”

ब्राजील में संवाददाताओं से बात करते हुए थरूर ने कहा, “अमेरिका एक महत्वपूर्ण मंच है जहां कई तरह की जानकारियां, भ्रांतियां और प्रचार प्रसार होते हैं। हमें यहां बहुत काम करना है ताकि हम सच्चाई को सामने ला सकें।”

उन्होंने जोर दिया कि आतंकवाद के ढांचे को खत्म किए बिना किसी भी बातचीत की कल्पना नहीं की जा सकती।
“ऐसे देशों से संवाद कैसे किया जा सकता है, जो आपकी सरहदों के पार से आतंकवादी भेजते हैं और आपके नागरिकों को निशाना बनाते हैं?”

उन्होंने आगे कहा, “अगर पाकिस्तान को वास्तव में शांति की इच्छा है, तो सबसे पहले उन्हें आतंकवादियों को शरण देना बंद करना होगा, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी होगी और आतंकी ढांचे को ध्वस्त करना होगा। तभी कोई सार्थक बातचीत संभव हो सकती है।”

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