आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों पर बोले अमित शाह, मोदी युग में डीजीपी-आईजीपी कांफ्रेंस बना ‘समाधानों का पोर्टल’

Amit Shah speaks on internal security challenges, says DGP-IGP conference has become a 'portal of solutions' in the Modi eraचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: भारत की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को केंद्र में रखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने 60वें अखिल भारतीय डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन की शुरुआत छत्तीसगढ़ के नया रायपुर स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) परिसर में की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह मंच अब देश की सुरक्षा चुनौतियों के स्थायी समाधान तलाशने वाला ‘‘समाधानों का पोर्टल’’ बन गया है, जहां नीतिगत दिशा, रणनीतिक सोच और राष्ट्रीय सुरक्षा की नई रूपरेखा तैयार की जाती है।

कार्यक्रम के उद्घाटन संबोधन में गृह मंत्री ने पिछले 11 वर्षों में पुलिस बलों द्वारा उग्रवाद, कट्टरपंथ, आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और सीमा पार अपराधों से निपटने में दिखाई गई दृढ़ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन सिर्फ विचार-विमर्श का मंच नहीं रहा, बल्कि एक ऐसी प्रणाली में बदल गया है जो सुरक्षित भारत के व्यापक सिद्धांत तय करता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बंडी संजय कुमार, खुफिया ब्यूरो निदेशक तपन कुमार डेका तथा गृह सचिव गोविंद मोहन की उपस्थिति में अमित शाह ने कहा कि यह सम्मेलन देश के सामने मौजूद पुलिसिंग की चुनौतियों की समीक्षा कर रहा है और विकसित भारत के निर्माण हेतु एक ठोस रोडमैप तैयार कर रहा है।

28 से 30 नवंबर तक चलने वाले विमर्शों में सटीक खुफिया तंत्र, स्पष्ट उद्देश्यों और अंतर-एजेंसी तालमेल पर जोर दिया गया, ताकि साइबर अपराध, वामपंथी उग्रवाद, सीमा पर होने वाली गतिविधियों और संगठित अपराध जैसे नए खतरों से प्रभावी मुकाबला किया जा सके।

गृह मंत्री शाह ने नक्सलवाद, पूर्वोत्तर उग्रवाद और जम्मू-कश्मीर में अशांति जैसे पुराने हॉटस्पॉट्स पर मोदी सरकार के ‘‘स्थायी समाधान’’ को रेखांकित करते हुए दावा किया कि इन्हें विकास की नई धारा में बदला गया है। उन्होंने नशीले पदार्थों के नेटवर्क के खिलाफ ‘‘360 डिग्री अटैक’’ की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि तस्करों के लिए ‘‘एक इंच जगह’’ भी नहीं छोड़ी जाएगी और देश को नशामुक्त बनाने की दिशा में यह निर्णायक कदम होगा।

सम्मेलन में उन्होंने पुलिस पदक तथा देश के शीर्ष तीन पुलिस थानों को ट्रॉफी प्रदान कीं, जिनमें कोलकाता का पार्क स्ट्रीट महिला पुलिस स्टेशन प्रथम, इंदौर का एयरोसिटी पुलिस स्टेशन द्वितीय और सूरत का सारथाणा पुलिस स्टेशन तृतीय स्थान पर रहा। इन सम्मानों का उद्देश्य सामुदायिक पुलिसिंग और अपराध नियंत्रण में उत्कृष्ट कार्य को प्रोत्साहित करना है।

खुफिया ब्यूरो द्वारा आयोजित यह आयोजन राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय बलों के 300 से अधिक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को एक साथ लाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो कर्नाटक और गोवा के कार्यक्रमों से लौटने के बाद सम्मेलन में शामिल हुए, 29-30 नवंबर को व्यावसायिक तथा समापन सत्रों की अध्यक्षता करेंगे। यह उनका वर्षों बाद छत्तीसगढ़ में तीन दिवसीय प्रवास है, जहाँ बस्तर में 2014 के बाद से 70 प्रतिशत तक कम हुई माओवादी हिंसा और नये आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन जैसे मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा होगी।

राजधानी रायपुर में एसपीजी, एनएसजी, सीआरपीएफ और राज्य पुलिस की बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था तथा ड्रोन निगरानी के बीच इस सम्मेलन का आयोजन राज्य की बढ़ती सुरक्षा क्षमता का संकेत माना जा रहा है। गृह मंत्री शाह ने अपने दूसरे सोशल मीडिया संदेश में दिनभर की चर्चाओं को उपयोगी बताते हुए कहा कि खुफिया की सटीकता, उद्देश्य की स्पष्टता और कार्रवाई की समन्वित शक्ति ही ‘‘विकसित भारत’’ की पुलिसिंग का आधार बनेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी पोस्ट में लिखा कि छत्तीसगढ़ पहुंचकर शीर्ष अधिकारियों के साथ भारत की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। रविवार को समाप्त होने वाला यह महाधिवेशन बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच राष्ट्रीय पुलिसिंग नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद के साथ संपन्न होगा।

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