लद्दाख में भड़का राज्य की मांग को लेकर गुस्सा, लेह में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: लेह शहर, लद्दाख में आज सुबह राज्य की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान पहली बार हिंसक झड़पें देखी गईं। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर पुलिस पर पथराव किया और एक पुलिस वाहन को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा में भाजपा कार्यालय पर भी हमला हुआ। स्थिति नियंत्रण से बाहर होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया।
प्रदर्शनकारियों ने आज लेह में पूरी तरह से बंद का आह्वान किया और भूख हड़ताल के साथ राज्य की मांग को लेकर विरोध दर्ज कराया। यह झड़प उस वक्त हुई जब केंद्र सरकार 6 अक्टूबर को लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने जा रही है।
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पिछले दो हफ्तों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष संरक्षण मिले। वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद लद्दाख को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था। उस समय सोनम वांगचुक समेत कई लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया था। लेकिन जल्द ही स्थानीय जनता ने राजनीतिक अधिकारों के अभाव को लेकर चिंता जतानी शुरू कर दी।
बीते तीन वर्षों में लद्दाख में केंद्रशासित शासन के खिलाफ असंतोष तेजी से बढ़ा है। भूमि, संस्कृति और संसाधनों की रक्षा को लेकर लोग लगातार राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। लेह के बौद्ध और करगिल के मुस्लिम समुदायों ने मिलकर ‘एपेक्स बॉडी ऑफ लेह’ और ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ के बैनर तले संयुक्त आंदोलन शुरू किया है।
हालांकि केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। मार्च में लद्दाखी नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, लेकिन बातचीत विफल हो गई। स्थानीय नेताओं का आरोप है कि गृह मंत्री ने उनकी मुख्य मांगों को खारिज कर दिया।
अब देखना होगा कि 6 अक्टूबर को होने वाली बैठक से लद्दाख के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को कोई समाधान मिलेगा या आंदोलन और तेज़ होगा।