E20 पेट्रोल से बेहतर एक्सीलरेशन और राइड क्वालिटी: विरोध के बीच केंद्र सरकार का बयान

Better acceleration and ride quality than E20 petrol: Centre's statement amid protestsचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) को लेकर उठ रही आलोचनाओं के बीच केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कदम न केवल प्रदूषण को कम करने और तेल आयात पर खर्च घटाने में मदद करेगा, बल्कि इससे गाड़ी की पिकअप और राइड क्वालिटी भी बेहतर होती है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा है कि माइलेज में गिरावट की चिंताओं का आकलन पहले ही 2020 में किया जा चुका था। मंत्रालय ने यह भी बताया कि माइलेज केवल ईंधन की गुणवत्ता पर निर्भर नहीं करती, बल्कि ड्राइविंग की आदतों, वाहन की मेंटेनेंस, टायर प्रेशर और एसी लोड जैसे कई कारकों से प्रभावित होती है।

हाल के दिनों में कई वाहन मालिकों ने शिकायत की है कि E20 पेट्रोल से उनकी गाड़ियों की माइलेज में गिरावट आई है और जिन इंजनों को ज्यादा एथनॉल कंटेंट के लिए ट्यून नहीं किया गया है, उनमें कुछ पुर्जों के खराब होने की समस्या भी सामने आ रही है। इसके जवाब में सरकार ने मंगलवार को एक विस्तृत बयान में कहा कि E20 फ्यूल का इस्तेमाल भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन हासिल करने की दिशा में एक अहम कदम है। नीति आयोग द्वारा की गई एक स्टडी का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि गन्ना और मक्का आधारित एथनॉल के इस्तेमाल से पेट्रोल की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में क्रमशः 65% और 50% की कमी आती है।

सरकार ने यह भी कहा कि इस कदम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा हुआ है और किसानों की आय बढ़ने से आत्महत्या की घटनाओं में कमी आई है, विशेषकर विदर्भ जैसे क्षेत्रों में। मंत्रालय के अनुसार, पिछले ग्यारह वर्षों में (2014-15 से 2024-25 के जुलाई तक) सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण से लगभग 1.44 लाख करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा बचत हुई है, करीब 245 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल के आयात को रोका गया है और 736 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती हुई है, जो लगभग 30 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। इस साल अकेले किसानों को E20 फ्यूल के तहत लगभग 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा और विदेशी मुद्रा में 43,000 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है।

माइलेज और प्रदर्शन संबंधी चिंताओं पर मंत्रालय ने कहा कि E20 फ्यूल बेहतर पिकअप, बेहतर राइड क्वालिटी और लगभग 30% कम कार्बन उत्सर्जन देता है। एथनॉल का ऑक्टेन नंबर पेट्रोल की तुलना में कहीं ज्यादा होता है (लगभग 108.5 बनाम 84.4), जो आधुनिक हाई-कम्प्रेशन इंजनों के लिए जरूरी होता है। मंत्रालय ने बताया कि शहर में ड्राइविंग के लिए बेहतर पिकअप बेहद अहम होता है और E20 वाले वाहनों में यह अनुभव बेहतर होता है। इसके अलावा एथनॉल की हाई हीट ऑफ वपोरेज़ेशन से इंजन में हवा और ईंधन का मिश्रण घना होता है, जिससे इंजन की दक्षता भी बढ़ती है।

ईंधन दक्षता में भारी गिरावट के दावों को “भ्रामक” बताते हुए मंत्रालय ने कहा कि कार की माइलेज पर सिर्फ फ्यूल नहीं, बल्कि कई अन्य कारक भी असर डालते हैं। मंत्रालय ने यह भी बताया कि सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) और प्रमुख वाहन निर्माताओं से इस विषय पर विस्तृत चर्चा की गई है। कई कंपनियों के वाहन 2009 से ही E20 के अनुकूल बनाए जा रहे हैं, ऐसे में उनमें माइलेज गिरने का कोई सवाल नहीं उठता।

ब्राज़ील का उदाहरण देते हुए सरकार ने बताया कि वहां कई सालों से E27 (27% एथनॉल मिश्रित पेट्रोल) का सफलतापूर्वक उपयोग हो रहा है और वहां भी वही कार कंपनियां जैसे हुंडई, टोयोटा और होंडा अपनी गाड़ियां बेचती हैं। पुराने वाहनों में कुछ रबर पार्ट्स और गैस्केट्स को जल्दी बदलने की ज़रूरत पड़ सकती है, लेकिन यह सस्ती और आसान प्रक्रिया है जो किसी भी अधिकृत सर्विस सेंटर पर की जा सकती है।

एक और आलोचना के जवाब में कि एथनॉल मिश्रित पेट्रोल की कीमत सामान्य पेट्रोल से कम होनी चाहिए थी, मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल एथनॉल की औसत कीमत रिफाइंड पेट्रोल से ज्यादा है। इसके बावजूद तेल कंपनियां इस कार्यक्रम को जारी रखे हुए हैं क्योंकि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा, किसानों की आय और पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

बीमा दावों को लेकर फैली चिंताओं पर भी मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि E20 के कारण बीमा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि उच्च स्तर के एथनॉल मिश्रण की ओर तेजी से बढ़ने का कोई तत्काल निर्णय नहीं लिया गया है और यह पूरी प्रक्रिया व्यापक विचार-विमर्श और रिपोर्ट के आधार पर ही तय होगी। वर्तमान में सरकार की प्रतिबद्धता 31 अक्टूबर 2026 तक E20 के इस्तेमाल तक सीमित है और उसके बाद के किसी भी फैसले के लिए इंटर-मिनिस्ट्रीयल कमेटी की रिपोर्ट, मूल्यांकन और हितधारकों से विमर्श आवश्यक होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *