भारत विकास परिषद केवल संस्था नहीं, एक विचार है जो भारतीय संस्कारों में रचा-बसा है: अमित शाह

Bharat Vikas Parishad is not just an institution, it is an idea that is deeply rooted in Indian culture: Amit Shah
(File Picture/Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में भारत विकास परिषद के 63वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह परिषद मात्र एक संस्था नहीं, बल्कि एक ऐसा एकीकृत विचार है जो भारतीय जीवन मूल्यों में गहराई से समाया हुआ है। उन्होंने परिषद की छह दशकों की यात्रा को संगठित सेवा, सांस्कृतिक मूल्यों और नागरिक सहभागिता की रचनात्मक शक्ति का प्रमाण बताया।

अमित शाह ने कहा कि परिषद ने जमीनी स्तर पर समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने परिषद की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सेवा को संगठन से और संस्कृति को राष्ट्र निर्माण से जोड़ने का अद्भुत प्रयास है, जो आज के समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है।

शाह ने परिषद की सोच को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य से जोड़ा, जिसमें उपनिवेशवादी मानसिकता से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और नागरिक कर्तव्य का भाव शामिल है। उन्होंने परिषद को उन लोगों के बीच सेतु बताया जो समाज की सेवा करना चाहते हैं और उन लोगों के बीच जिन्हें मदद की आवश्यकता है। शाह ने कहा कि परिषद बिना दिखावे के समाज को सशक्त करने का कार्य कर रही है।

इस अवसर पर गृह मंत्री ने मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानी हेमम नीलमणि सिंह को भी श्रद्धांजलि दी, जिन्हें मरणोपरांत सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि सिंह नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित होकर 1944 में आज़ाद हिंद फौज में शामिल हुए थे और बाद में अपना जीवन शिक्षा, सेवा और भाषाई एकता को समर्पित कर दिया। शाह ने उनके हिंदी प्रचार कार्य को मणिपुर के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया।

भारत विकास परिषद की राष्ट्रीय उपस्थिति का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने बताया कि परिषद आज देश के 412 ज़िलों में 1,600 से अधिक शाखाओं और 84,000 से अधिक परिवारों से जुड़ी हुई है। उन्होंने आपदा राहत, रक्तदान शिविरों और सांस्कृतिक शिक्षा शिविरों जैसे सेवा कार्यों की सराहना की।

शाह ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीते दस वर्षों की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया, जैसे वित्तीय समावेशन, स्वच्छता में सुधार, आवास की उपलब्धता और मुद्रा योजना के माध्यम से महिला सशक्तिकरण। अंत में उन्होंने कहा कि भारत के भविष्य को आकार देने में सेवा-आधारित संगठनों की भूमिका अब भी उतनी ही अहम है, क्योंकि उनके सतत और निस्वार्थ प्रयास ही राष्ट्रीय प्रगति की नींव हैं।

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