बिहार चुनाव: सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी और चिराग पासवान में बनी सहमति, एलजेपी को मिल सकती हैं 25-26 सीटें
चिरौरी न्यूज
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। चिरौरी न्यूज को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने 40 सीटों की अपनी शुरुआती मांग से पीछे हटते हुए 25-26 सीटों पर सहमति जताई है। इसके बदले उन्हें अन्य मुद्दों पर रियायतें और और सरकार में सभी स्तरों पर ‘उचित सम्मान’ देने की बात शामिल है। हालांकि, अब तक इस समझौते को लेकर न तो बीजेपी और न ही एलजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है।
दिनभर चली बैठकें, फिर बनी सहमति
गुरुवार को पूरे दिन दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बैठकों का सिलसिला चला। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई। एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने बातचीत को “सकारात्मक” बताया और कहा कि बातचीत “अंतिम चरण” में है।
बैठकों के दौरान भले ही बाहर मुस्कान दिखी हो, लेकिन अंदरूनी तौर पर माहौल तनावपूर्ण रहा। बीजेपी जहां जल्दी सीट बंटवारा खत्म कर 6 नवंबर से शुरू हो रहे चुनाव प्रचार में जुटना चाहती है, वहीं चिराग पासवान सीटों को लेकर अपनी मांग पर अड़े रहे।
चिराग की दलील: समान फार्मूले की मांग
चिराग पासवान की मांग है कि उन्हें भी वही फॉर्मूला दिया जाए जो बीजेपी अपने अन्य सहयोगियों के लिए इस्तेमाल कर रही है, यानी हर लोकसभा सांसद के बदले आठ विधानसभा सीटें।
बीजेपी और जेडीयू, दोनों के पास बिहार में 12-12 लोकसभा सांसद हैं, जिन्हें 96 सीटों का हिस्सा दिया गया है जिसे 100 तक राउंड अप किया गया है। चिराग पासवान के पास 5 लोकसभा सांसद हैं और उनका स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा है। उस हिसाब से उन्हें 40 सीटें मिलनी चाहिए थीं। लेकिन बीजेपी की ओर से उन्हें केवल 25 सीटों का ऑफर दिया गया, जो कि हर सांसद के बदले केवल 5 सीटें हैं।
सूत्रों के अनुसार, एक मिडल ग्राउंड के रूप में 30 सीटों पर बातचीत चल रही है।
चिराग पासवान इस बार अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने के मूड में हैं, ताकि भविष्य में (या संभवतः 5 साल बाद) मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर सकें। इसी रणनीति के तहत उन्होंने दबाव बनाने के लिए कई कदम उठाए। गुरुवार सुबह, जब उनसे सीट शेयरिंग पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि “जब तक मंत्री हूं, अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगा”, जिससे उनके इस्तीफे की अटकलें लगने लगीं।
इस बयान के बाद बीजेपी ने फौरन हरकत में आते हुए केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय को पटना भेजा। राय पहले चिराग पासवान की मां से मिले और फिर एलजेपी प्रमुख से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात के बाद चिराग कुछ हद तक संतुष्ट नजर आए, लेकिन अपनी मांग पर कायम हैं।
चिराग पासवान के ‘दबाव के हथियार’ में एक और चर्चा थी—प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ के साथ संभावित बातचीत। हालांकि यह खबर आई कि किशोर ने इस विचार को तुरंत खारिज कर दिया।
एलजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक शुक्रवार को होनी थी, लेकिन अब इसे टाल दिया गया है। यह बैठक अब शनिवार को होने की संभावना है, जब अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रबल समर्थक हैं और अंततः समझौते के लिए तैयार हो जाएंगे।
