बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने नेहरू को लेकर राहुल-प्रियंका गांधी पर साधा निशाना

BJP MP Nishikant Dubey targeted Rahul and Priyanka Gandhi regarding Nehruचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि दोनों ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर विशेष अधिकार प्राप्त हों।

दुबे ने कहा, “नेहरू आपके दादा हो सकते हैं, लेकिन वे भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और उनकी नीतियों पर सवाल उठाना मेरा अधिकार है। आपको उनके लिए कोई विशेषाधिकार नहीं है।” उन्होंने कांग्रेस की परंपरागत सोच पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि नेहरू की किताब ‘ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ में महमूद गजनवी को ‘योद्धा’ बताया गया है, जो कांग्रेस की सोच को दर्शाता है।

प्रियंका गांधी द्वारा पिछले दर्द को भूल जाने की सलाह पर निशाना साधते हुए दुबे ने कहा, “जो व्यक्ति या समाज अपना अतीत भूल जाता है, वह नष्ट हो जाता है। हमें अतीत से सीख लेकर वर्तमान में जीना चाहिए।” उन्होंने कहा कि संसद में आज कश्मीर और चीन के मुद्दे प्रमुख हैं।

दुबे ने कश्मीर के भारत में विलय की प्रक्रिया का हवाला देते हुए बताया कि 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान कश्मीर में ‘राजा छोड़ो आंदोलन’ चला। उन्होंने महमूद अली जिन्ना और लियाकत अली को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और कांग्रेस की वंशवादी राजनीति को देश के वर्तमान हालात के लिए दोषी बताया।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब मणिपुर, कच्छ और उत्तर प्रदेश में भारत में विलय हुआ, तब कश्मीर के लिए विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 क्यों लागू किया गया। उन्होंने कहा, “अगर कश्मीर की स्थिति के लिए नेहरू-गांधी परिवार जिम्मेदार है, तो हम उन्हें जिम्मेदार मानेंगे। राहुल-प्रियंका गांधी को इससे समस्या क्यों है?”

दुबे ने एक विवादित दावा करते हुए कहा कि सीआईए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 40 फीसदी कांग्रेस सांसद सोवियत संघ द्वारा वित्त पोषित थे और रूस के एजेंट थे।

चीन के बढ़ते आक्रमण के लिए उन्होंने नेहरू को दोषी ठहराया और तिब्बत पर चीन के कब्जे को इसका कारण बताया।

1971 के युद्ध नायक फील्ड मार्शल सम मानेकशॉ के खिलाफ भी दुबे ने आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मानेकशॉ को 1972 से 2007 तक पेंशन नहीं मिली, जो तब मिली जब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बनकर बीच में आए। दुबे ने कहा, “जब आप 1971 के युद्ध नायक और सेना प्रमुख का सम्मान नहीं करते, तो फिर सेना की बात कैसे करते हैं?”

उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों और देश की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद देते हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सेना की कार्रवाई की सराहना की और मारे गए निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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