CAA से ऐतिहासिक वादा पूरा हुआ, शरणार्थियों को अधिकार और घुसपैठियों पर सख्ती: अमित शाह

CAA fulfils historic promise, rights to refugees and crackdown on infiltrators: Amit Shahचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दैनिक जागरण द्वारा आयोजित ‘जागरण साहित्य सृजन सम्मान’ समारोह में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को भारत के नेताओं द्वारा किया गया एक ऐतिहासिक वादा बताया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना झेलकर भारत आए हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देना देश की नैतिक जिम्मेदारी है।

शाह ने विपक्ष पर सीएए को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कानून शरणार्थियों और अवैध घुसपैठियों के बीच स्पष्ट रेखा खींचता है। उन्होंने कहा, “भारत राष्ट्र है, धर्मशाला नहीं,” और अवैध प्रवास को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात और राजस्थान भले ही सीमा राज्य हैं, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के कारण पश्चिम बंगाल आज घुसपैठ का केंद्र बन गया है। कांग्रेस के नेतृत्व में धार्मिक आधार पर हुए विभाजन को शाह ने ऐतिहासिक भूल बताया और कहा कि उसी का दुष्परिणाम आज देश भुगत रहा है।

कार्यक्रम की शुरुआत में अमित शाह ने दिवंगत पत्रकार और साहित्यकार नरेंद्र मोहन को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बताया कि 2010 में दिल्ली के गुजरात भवन में प्रवास के दौरान उन्होंने 560 दिनों तक दैनिक जागरण का पहला पेज गुजराती में अनुवाद कर हिंदी सीखी, जिसे उन्होंने नरेंद्र मोहन जी की प्रेरणा माना।

अमित शाह ने कहा कि 1951 से 2011 के बीच भारत में हिंदुओं की जनसंख्या 84% से घटकर 79% हो गई है, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 9.8% से बढ़कर 14.2% हो गई, जिसे उन्होंने मुख्यतः अवैध घुसपैठ का परिणाम बताया। पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की गिरती जनसंख्या पर भी उन्होंने चिंता जताई—पाकिस्तान में हिंदू 13% से घटकर 1.73%, बांग्लादेश में 22% से 7.9% और अफगानिस्तान में 2.2 लाख से घटकर मात्र 150 रह गए हैं।

उन्होंने मोदी सरकार की “3D नीति”—Detect, Delete (मतदाता सूची से हटाना), और Deport (देश से बाहर करना)—का उल्लेख करते हुए घुसपैठियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही।

चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई विशेष मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) को शाह ने संवैधानिक कर्तव्य बताया और विपक्ष के विरोध को राजनीतिक स्वार्थ करार दिया। उन्होंने अवैध घुसपैठ के सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक प्रभावों पर अध्ययन के लिए एक उच्च स्तरीय जनसांख्यिकीय मिशन की भी घोषणा की। शाह ने लोगों से अपील की कि वे प्रचार के बजाय तथ्यों को महत्व दें और भारत की सांस्कृतिक एवं लोकतांत्रिक पहचान की रक्षा के लिए सजग रहें।

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