आईआरसीटीसी घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर आरोप तय, दिल्ली कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश

Charges framed against Lalu Prasad Yadav, Rabri Devi and Tejashwi Yadav in IRCTC scam case, Delhi court gives major orderचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को बड़ा कानूनी झटका देते हुए, दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को आईआरसीटीसी घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तथा उनके बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। यह आदेश बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले आया है।

अदालत ने कहा है कि लालू यादव ने “साजिश रची” और एक लोक सेवक के रूप में “अपने पद का दुरुपयोग” किया है। कोर्ट ने लालू यादव पर लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार और धोखाधड़ी की आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाने का निर्देश दिया है। वहीं, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर धोखाधड़ी और धोखाधड़ी की साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं। सभी आरोपियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए खुद को निर्दोष बताया है, जिसके बाद मामले की सुनवाई शुरू होगी।

सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे इस मामले में आईआरसीटीसी के दो होटलों – बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी के रखरखाव कार्य के ठेकों के आवंटन में कथित भ्रष्टाचार शामिल है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि ये ठेके विजय और विनय कोचर के स्वामित्व वाली कंपनी ‘सुजाता होटल’ को अनुकूल रूप से प्रदान किए गए थे।

आरोपपत्र में यह भी दावा किया गया है कि लालू यादव ने पटना में लगभग तीन एकड़ की कीमती जमीन एक बेनामी कंपनी के माध्यम से हासिल की।

कोर्ट के आदेश के अनुसार, 77 वर्षीय राजद प्रमुख पर अपने रेल मंत्री कार्यकाल (2004-2009) के दौरान निविदा प्रक्रिया में हेरफेर कर, पद का दुरुपयोग करने और साजिश रचने का आरोप है। आरोपों में कहा गया है कि उन्होंने निविदा की पात्रता शर्तों को प्रभावित किया और कोचर परिवार से जमीन कम कीमत पर खरीदने की योजना बनाई।

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा, “उन्होंने साजिश रची और लोक सेवक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया। निविदा की पात्रता शर्तों में हेरफेर किया गया और कोचर परिवार से जमीन कम कीमत पर खरीदने की साजिश रची गई। इसके बाद इन जमीनों का नियंत्रण राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को हस्तांतरित करने की योजना बनाई गई।”

सीबीआई ने अदालत में प्रस्तुत साक्ष्यों से यह भी बताया कि निविदा प्रक्रिया में बदलाव किए गए और लालू यादव ने इन जमीनों से जुड़े होटलों के हस्तांतरण को प्रभावित किया।

कोर्ट ने पाया कि जमीनों का कम मूल्यांकन और बाद में राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव को शेयरों का हस्तांतरण गंभीर चिंता का विषय है और इससे राज्य के खजाने को वित्तीय नुकसान हुआ है। कोर्ट ने कहा कि जमीनों के नियंत्रण के हस्तांतरण की साजिश में कई लोग शामिल थे।

राजद के वरिष्ठ नेता ने सुनवाई के दौरान दावा किया कि भ्रष्टाचार के मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और उन्हें बरी किया जाना चाहिए। उनके वकील ने कहा कि निविदाएं निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से दी गईं और लालू यादव द्वारा कोई अनियमितता नहीं की गई।

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