छत्तीसगढ़: नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता, सुकमा में 23 इनामी नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
चिरौरी न्यूज
रायपुर/सुकमा: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में शनिवार को नक्सल विरोधी अभियान को एक बड़ी सफलता मिली, जब 23 कुख्यात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इन पर कुल मिलाकर ₹1.18 करोड़ का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वालों में 11 उच्च स्तर के माओवादी कमांडर शामिल हैं।
इस समूह में सबसे प्रमुख नाम पोडियाम भीमा उर्फ लोकेश का है, जो माओवादी संगठन का डिवीजनल कमेटी सदस्य (DVCM) है और 2012 में सुकमा के पहले कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है। उस पर ₹8 लाख का इनाम था और वह PLGA बटालियन नंबर 1 का कमांडर भी रह चुका है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मौके पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर प्रतिक्रिया दी, “बस्तर बदल रहा है। अब बंदूक की आवाज नहीं, लोकतंत्र की गूंज सुनाई दे रही है।”
उन्होंने बताया कि बीते 24 घंटों में सुकमा और नारायणपुर मिलाकर कुल 45 नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आने का फैसला किया है। यह बदलाव राज्य सरकार की पुनर्वास नीति और ‘निय्यद नेल्ला नर’ जैसी विकास योजनाओं के चलते संभव हुआ है।
पुलिस ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में एक DVCM, छह पीपुल्स पार्टी कमेटी सदस्य (PPCM), चार एरिया कमेटी सदस्य (ACM), और 12 निचले स्तर के माओवादी कार्यकर्ता शामिल हैं। इन पर ₹1 लाख से ₹8 लाख तक के इनाम घोषित थे।
इनमें रमेश उर्फ कमलू शामिल है, जो कुख्यात माओवादी कमांडर मदवी हिडमा का सुरक्षा गार्ड था। इसी तरह मदवी जोगा BNPC राजे उर्फ राजक्का की सुरक्षा में था, जबकि नुप्पो लछू SZCM सन्नू दादा का अंगरक्षक था।
सभी surrendered माओवादी पहले PLGA बटालियन नंबर 1 के सक्रिय सदस्य थे। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, इन माओवादियों के आत्मसमर्पण के पीछे विचारधारा से मोहभंग, संगठन के भीतर कलह, और आदिवासी समुदाय पर अत्याचारों से उपजी असंतुष्टि प्रमुख कारण हैं।
सभी आत्मसमर्पणकर्ताओं को तत्काल ₹50,000 की सहायता राशि दी गई और उन्हें पुनर्वास नीति के तहत शिक्षा, आवास और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। इस प्रक्रिया में CRPF के डीआईजी आनंद सिंह राजपुरोहित, सैयद मोहम्मद हबीब असगर, और सुकमा एसपी किरण चव्हाण मौजूद रहे।
राज्य सरकार के अनुसार, बीते 15 महीनों में कुल 1,521 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह माओवादी नेटवर्क के कमजोर होने और शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में “नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़” के विजन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।