सीमा विवाद, द्विपक्षीय तनाव और अमेरिकी टैरिफ के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी का दो दिवसीय भारत दौरा
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी सोमवार से भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं, जहां वह विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ अहम द्विपक्षीय बैठक करेंगे। यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत और अमेरिका के संबंधों में खटास बढ़ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को 50 प्रतिशत तक बढ़ा देना, और रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त दंड लगाना, दोनों देशों के रिश्तों में तनाव को और गहरा कर रहा है। ऐसे में वांग यी का भारत आना कूटनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वांग यी की यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत-चीन सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों (SR) के स्तर पर बातचीत को आगे बढ़ाना है। इस वार्ता में भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हिस्सा लेंगे। दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति और स्थायित्व बनाए रखने के लिए नए कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग उपायों (CBMs) पर चर्चा हो सकती है। यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी महीने प्रस्तावित चीन यात्रा से ठीक पहले हो रही है, जिससे इसकी अहमियत और बढ़ जाती है।
वांग यी सोमवार शाम करीब 4:15 बजे नई दिल्ली पहुंचेंगे और शाम 6 बजे विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे। इसके अगले दिन यानी मंगलवार को सुबह 11 बजे उनकी अजीत डोभाल के साथ SR स्तर की बातचीत होगी। उसके बाद मंगलवार शाम 5:30 बजे वांग यी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक प्रधानमंत्री निवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर होगी।
पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है, जहां दोनों देशों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक अब भी तैनात हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों से सैनिकों को हटाया गया है, लेकिन पूरी तरह से स्थिति सामान्य नहीं हुई है। इस पृष्ठभूमि में यह वार्ता दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी इस महीने के अंत में जापान और फिर चीन के तिआनजिन शहर जाएंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी पिछले साल दिसंबर में चीन गए थे और वांग यी के साथ SR वार्ता की थी। यह बैठक कज़ान में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद हुई थी, जहां दोनों नेताओं ने बातचीत के विभिन्न चैनलों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया था।
2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद भारत-चीन संबंधों में भारी गिरावट आई थी। लेकिन अब दोनों देश संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में प्रयासरत हैं। इसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना और चीनी नागरिकों के लिए भारत की ओर से पर्यटक वीजा जारी करना जैसे कदम शामिल हैं। इसके अलावा, दोनों देश एक बार फिर से आपसी उड़ान सेवाएं शुरू करने के विकल्पों पर भी चर्चा कर रहे हैं, जो कोविड-19 महामारी और सीमा विवाद के बाद बंद हो गई थीं।
गौरतलब है कि हाल के महीनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी SCO बैठकों के सिलसिले में चीन की यात्रा कर चुके हैं। इन उच्च स्तरीय यात्राओं और संवादों की पृष्ठभूमि में वांग यी की भारत यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊर्जा देने वाले कदम के रूप में देखा जा रहा है।