सीएम योगी ने राम मंदिर को शांति और समृद्धि का प्रतीक बताया

CM Yogi described the Ram temple as a symbol of peace and prosperityचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई दिल्ली में आयोजित हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में कहा कि प्रदेश आज शांति, स्थिरता और निवेश के एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को इस परिवर्तन का एक ऐतिहासिक मोड़ बताया कि इससे प्रदेश की छवि और माहौल, दोनों में गहरा बदलाव आया है।

अपने मंत्रियों में उन्होंने 6 दिसंबर के दिन को याद किया, जिसे लंबे समय तक तनाव और अशांति से जोड़ा जाता रहा है। आदित्यनाथ ने कहा कि जो कभी कर्फ्यू जैसी गतिविधियां वाला प्रदेश था, वह अब स्थायी शांति का प्रतीक बन चुका है।

उन्होंने बाबरी मस्जिद, जिसे उन्होंने “विवादित ढांचा” कहा, को गिराए जाने को “एक दाग हटाना” जैसा बताया और 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले ने “हमेशा रहने वाली शांति” की नींव रखी।

मुख्यमंत्री ने राम मंदिर के निर्माण को स्वतंत्र भारत की “सबसे बड़ी उपलब्धि” बताई कि इससे दशकों पुराने विवाद समाप्त हुआ है और विकास के नए रास्ते खुले हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश अब “दंगा-मुक्त” है, और इसी स्थिरता ने निवेश और आर्थिक प्रगति के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है।

आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि प्रदेश का यह परिवर्तन विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विजन से सीधे तौर पर जुड़ा है। उनके अनुसार, भारत के एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरने में उत्तर प्रदेश की भूमिका केंद्रीय होगी।

उन्होंने कहा, “शांति से खुशहाली आती है, और खुशहाली से शासन में भरोसा मजबूत होता है,” और बताया कि उनकी सरकार ने औद्योगिक विस्तार की बुनियाद के रूप में क़ानून-व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार का रुख काशी और मथुरा जैसे अन्य विवादित धार्मिक स्थलों की तरफ भी बढ़ेगा, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “हम हर जगह पहुंचेंगे, और हम पहले ही पहुंच चुके हैं।”

उनका यह बयान लोकप्रिय नारे, “अयोध्या तो बस हुंकी है, काशी-मथुरा अभी बाकी है”, की याद ताज़ा है, जो संकेत देता है कि राम मंदिर निर्माण राज्य के धार्मिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अंतिम अध्याय नहीं हो सकता।

अपने पूरे भाषण में योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक आंदोलनों को आर्थिक मुद्दों के साथ जोड़ते हुए उत्तर प्रदेश को एक ओर आध्यात्मिक विरासत, और दूसरी ओर तेज़ी से उभरते निवेश केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया। लंबे समय से चले आ रहे विवाद के समाधान को शांति और समृद्धि से जोड़कर उन्होंने उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय परिवर्तन का मॉडल बताने की कोशिश की।

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