भारतीय दबाव में बदला कोलंबिया का सुर, ऑपरेशन सिंदूर पर दिया बयान वापस; थरूर के नेतृत्व में कूटनीतिक जीत

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली/बोगोटा: कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में कोलंबिया पहुंचे भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने एक बड़ी कूटनीतिक जीत दर्ज की है। थरूर के दबाव और विस्तृत चर्चा के बाद कोलंबिया ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पहले दिए गए बयान को वापस ले लिया है और अब भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का मजबूत समर्थन करने की घोषणा की है।
थरूर ने शुक्रवार को कहा, “उन्होंने पहले जो बयान दिया था, जिससे हमें निराशा हुई थी, उसे वापस ले लिया है और अब एक मजबूत समर्थन वाला बयान जारी करेंगे।” इस बयान से एक दिन पहले ही थरूर ने कोलंबिया की स्थिति पर चिंता जताई थी और कहा था कि नई दिल्ली इससे निराश है।
पूर्व भारतीय राजदूत और भाजपा नेता तरणजीत सिंह संधू ने बताया कि कोलंबिया के कार्यवाहक विदेश मंत्री के साथ प्रतिनिधिमंडल की गहन चर्चा के बाद कोलंबिया की समझ बेहतर हुई और उन्होंने भारत की स्थिति को समझा। उन्होंने कहा, “आज सुबह हमारी विस्तृत बातचीत हुई जिसमें हमने उन्हें पूरी टाइमलाइन और तथ्यों से अवगत कराया। कोलंबिया की अहमियत इसलिए भी है क्योंकि वह जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने जा रहा है।”
कोलंबिया की उप विदेश मंत्री रोजा योलांडा विलाविसेंसियो ने कहा, “हमें आज जो जानकारी और स्पष्टीकरण मिला है, उससे हम काफी आश्वस्त हैं और अब इस मुद्दे पर बातचीत को आगे बढ़ा सकते हैं।”
थरूर ने स्पष्ट किया कि “जो आतंकवादियों को भेजते हैं और जो आत्मरक्षा करते हैं, उनके बीच कोई समानता नहीं हो सकती। भारत के पास अप्रैल 22 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीछे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का ठोस सबूत है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या हुई थी।”
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा, और तेलुगु देशम पार्टी के सांसद शामिल हैं। यह दल भारत सरकार द्वारा गठित उन सात अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक है, जिन्हें पहलगाम हमले के बाद 33 वैश्विक राजधानियों में भारत का पक्ष रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सटीक हमले किए थे। इसके बाद पाकिस्तान ने 8 से 10 मई के बीच भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की, जिसका भारत ने करारा जवाब दिया। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 10 मई को बातचीत के बाद जमीनी संघर्ष को रोकने पर सहमति बनी।
यह कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।