शहीद कर्नल संतोष कुमार के पिता सरकार के फैसले से नहीं हैं खुश

Colonel Santosh Babu, the hero of the Galwan Valley struggle, was posthumously awarded the Maha Vir Chakra

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ाने वाले बिहार रेजिमेंट्स के कर्नल संतोष कुमार को इस बार 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के राष्ट्रपति ने युद्ध के समय दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार महावीर चक्र से मरणोपरांत सम्मानित करने की घोषणा की, लेकिन संतोष कुमार के पिता इस सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा हा कि, “ऐसा नहीं है कि मैं दुःखी हूं लेकिन मैं 100 फीसदी खुश नहीं हूं।” उन्होंने कहा कि शहीद कर्नल संतोष कुमार को बेहतर तरीके से सम्मानित करने की गुंजाइश है।

उन्होंने कहा, “मेरी राय है कि संतोष बाबू की वीरता को देखते हुए परमवीर चक्र के लिए नामित किया जाना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा, “मेरे बेटे की वीरता ने लाखों लोगों को प्रभावित किया। संतोष बाबू के बलिदान को ये देश कभी नहीं भूल सकता है। उन्होंने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए हैं।”

बता दें कि सेना के प्रशस्ति-पत्र के मुताबिक, “15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के दौरान बिहार रेजीमेंट (16 बिहार) के कर्नल बिकुमाला संतोष बाबू को कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) के तौर पर ऑबर्जेवेशन-पोस्ट स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। दुश्मन सैनिकों की हिंसक और आक्रामक कारवाई के सामने भी वह स्वयं से पहले सेवा की सच्ची भावना का उदाहरण देते हुए दुश्मन के भारतीय सैनिकों के पीछे धकेलने के प्रयास का विरोध करते रहे। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वह झड़प में अपनी आखिरी सांस तक नेतृत्व करते रहे।

कर्नल संतोष बाबू के अलावा ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के लिए गलवान घाटी में पांच अन्य सैनिकों को अदम्य साहस और बहादुरी के लिए वीर चक्र से नवाजा गया है। इनमें से चार को मरणोपरांत दिया गया है। जिन चार सैनिकों को मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया है उनमें नायब सूबेदार नूदूराम सोरेन (16 बिहार), हवलदार के पिलानी (81 फील्ड रेजीमेंट), नायक दीपक कुमार ( आर्मी मेडिकल कोर-16 बिहार), सिपाही गुरजेत सिंह (3 पंजाब) शामिल हैं। इसके अलावा हवलदार तेजेंद्र सिंह (3 मीडियम रेजीमेंट) को भी चीनी सैनिकों से हैंड-टू-हैंड फाइट करने और साथी-सैनिकों को दुश्मन के खिलाफ एकजुट करने और चीनी सैनिकों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए वीर चक्र से नवाजा गया है।

 

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