भारत-पाक तनाव में अमेरिका की भूमिका पर टकराव, भारत ने खारिज किया ट्रंप प्रशासन का दावा
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में ‘बहुपक्षीयता और शांतिपूर्ण समाधान’ पर आयोजित एक खुली बहस के दौरान अमेरिका ने दावा किया कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई। अमेरिकी प्रतिनिधि डोरोथी शिया ने कहा कि अमेरिका, दुनिया भर में संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।
शिया ने कहा, “पिछले तीन महीनों में अमेरिका की कूटनीतिक कोशिशों से भारत और पाकिस्तान, ईरान और इस्राइल, तथा कांगो और रवांडा के बीच टकराव टले हैं। ट्रंप प्रशासन ने इन मामलों में निर्णायक भूमिका निभाई।”
भारत का सख्त जवाब: पाकिस्तान की पहल पर हुआ युद्धविराम, अमेरिका की भूमिका नहीं
अमेरिका के दावे पर भारत ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए उसे खारिज कर दिया। भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि परवथनेनी हरीश ने स्पष्ट किया कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में आतंकवादी ठिकानों पर लक्षित और मापी गई कार्रवाई की थी।
उन्होंने कहा, “हमारा अभियान सीमित और गैर-उत्तेजक था। जब भारत ने अपने उद्देश्य प्राप्त कर लिए, तो पाकिस्तान के अनुरोध पर ही सैन्य गतिविधियां समाप्त की गईं। इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी।”
भारत ने यह भी दोहराया कि किसी भी द्विपक्षीय विवाद में बाहरी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जा सकती। “शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, लेकिन यह समाधान द्विपक्षीय रूप से ही संभव हैं,” उन्होंने जोड़ा।
पाकिस्तान की यूएन अध्यक्षता और अमेरिका-चीन तनाव भी चर्चा में
गौरतलब है कि जुलाई महीने के लिए पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और इस अवधि में वह दो ‘विशेष’ कार्यक्रमों की मेज़बानी कर रहा है। इस बैठक की अध्यक्षता पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने की।
बैठक के दौरान अमेरिका ने चीन पर भी तीखा हमला बोला। डोरोथी शिया ने कहा, “चीन दक्षिण चीन सागर में अपने अवैध और अत्यधिक समुद्री दावों के ज़रिए क्षेत्र में अशांति फैला रहा है। हम चीन से 2016 के अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को मानने की मांग करते हैं।”
भारत और अमेरिका के बीच हालिया राजनयिक बयानबाज़ी एक बार फिर यह स्पष्ट करती है कि भारत अपने संप्रभु हितों और सुरक्षा के मामलों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता। वहीं अमेरिका वैश्विक मंचों पर अपनी मध्यस्थ भूमिका को प्रोजेक्ट करता हुआ नज़र आ रहा है।