कांग्रेस ने 89 लाख शिकायतें चुनाव आयोग को दी: पवन खेड़ा

Congress has given 89 lakh complaints to Election Commission: Congress leader Pawan Kheraचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने रविवार को बिहार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला और दावा किया कि विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान गड़बड़ियों को लेकर उनकी पार्टी ने आयोग को 89 लाख शिकायतें सौंपी हैं।

उन्होंने कहा कि आयोग लगातार अपने सूत्रों के माध्यम से यह खबरें प्रसारित करवा रहा है कि किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई शिकायत नहीं आई है, जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस ने 89 लाख शिकायतें आयोग को दी हैं।

खेड़ा ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने उनके बूथ स्तर एजेंटों (BLA) द्वारा दी गई शिकायतों को दर्ज नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब हमारे बीएलए शिकायत दर्ज कराने गए तो आयोग ने साफ तौर पर कह दिया कि केवल व्यक्तिगत रूप से दी गई शिकायतों को ही स्वीकार किया जाएगा, राजनीतिक दलों की ओर से दी गई शिकायतों को नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को यह आदेश मिला है कि राजनीतिक दलों की ओर से आने वाली शिकायतें दर्ज न की जाएं।

पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से हों। हमारा भी यही उद्देश्य है कि मतदाता सूची में किसी गलत व्यक्ति का नाम न हो और किसी सही मतदाता का नाम न हटे। यह जिम्मेदारी हम सभी की है — हमारी, आपकी और सबसे ज़्यादा चुनाव आयोग की। उन्होंने मांग की कि आयोग कांग्रेस द्वारा दिए गए आंकड़ों की जांच करे और घर-घर जाकर पुनः सत्यापन करवाए।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने रविवार को यह घोषणा की कि बिहार के 7.24 करोड़ मतदाताओं की प्रारूप मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियाँ दाखिल करने के लिए केवल एक दिन शेष है। आयोग के दैनिक बुलेटिन के अनुसार अब तक केवल 25 समावेशन के दावे और 103 नाम विलोपन की आपत्तियाँ बीएलए द्वारा दर्ज की गई हैं। वहीं व्यक्तिगत स्तर पर नागरिकों ने अधिक सक्रियता दिखाई है, जिनसे आयोग को अब तक 33,326 समावेशन के दावे और 2,07,565 नाम विलोपन की आपत्तियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 38,342 मामलों का निपटारा किया जा चुका है।

इसी बीच बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि SIR 2025 के तहत प्रकाशित प्रारूप मतदाता सूची केवल अस्थायी है और सार्वजनिक जांच के उद्देश्य से जारी की गई है। उन्होंने कहा कि इस स्तर पर किसी भी कथित डुप्लीकेशन को अंतिम त्रुटि नहीं माना जा सकता, क्योंकि कानून के अनुसार अंतिम प्रकाशन से पहले आपत्ति, सत्यापन और सुधार की पूरी प्रक्रिया उपलब्ध है।

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