सतत टीकाकरण अभियान जारी, लेकिन कोरोना उपयुक्त व्यवहार न भूलें
डॉ विकास भाटिया, एम्स बीबीनगर
भारत में भी टीकाकरण में एक करोड़ 74 करोड़़ का आंकड़ा पार कर लिया है। निर्बाध रूप से देश में जारी टीकाकरण की विदेशों में भी प्रशंसा हो रही है, टीकाकरण का यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि हमने कोरोना के खिलाफ जारी जंग में एक अहम मुकाम हासिल कर लिया है। सरकारी स्तर पर तमाम मशीनरी टीकाकरण के लिए अपना काम कर रही है। कमी आती है तो लोगों के सहभागिता की। जरा सा संक्रमण कम होता है, लोग अपने सामाजिक दायित्व को भूल जाते हैं। कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना कम करने लग जाते हैं। जिसका नतीजा, प्रतिकूल ही होता है। जबकि ऐसा नहीं करना है, कोविड टीकाकरण का यह मुकाम तमाम चुनौतियों के बाद हासिल हुआ है और हमें अपनी इस सफलता को लापरवाही से बेकार नहीं जाने देना है।
देशभर में कोविड संक्रमण को लेकर बीते कुछ दिनों में हालात बदलें हैं, लगभग सभी राज्यों में नाइट कफ्र्यू हटा दिया गया है। वर्ष 2020 में केंद्र सरकार की ओर से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हुई, तो वर्ष 2021 में केन्द्र सरकार की सलाह पर राज्यों ने अपने सीमा क्षेत्रों में पाबंदी लगाईं। लोगों ने नियमों का पालन किया, तो संक्रमण की दर में कमी आ रही है। आंकड़ों के अनुसार 23 जनवरी 2022 को इस सर्ज के सबसे अधिक तीन लाख पचास हजार कोविड मरीज एक दिन में देखे गए, वहीं 12 फरवरी तक स्थिति बिल्कुल बदल गई और कोविड मरीजों की संख्या घटकर 30 हजार हो गई। स्थानीय पाबंदियों के साथ ही केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से समय-समय पर कोरोना उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की हिदायत भी दी जाती रही।
देशभर में इस समय कोविड संक्रमण की स्थिति गंभीर नहीं है और कोविड टीकाकरण की संतोषजन तरीके से संचालित किया जा रहा है। कहा जाता है कि इंसान सबसे समझदार प्राणी है। समय के साथ सामंजस्य करने की इसमें गजब की क्षमता है। संक्रमण के कम होते मामलों के बाद भी हमें हमें अपनी पुरानी दिनचर्या और आदतों को अब नई आदतों और तौर-तरीकों में वैसा ही बदलाव अपना होगा जैसा कि हम पिछले दो साल से अपनाते आए हैं। हमें अपने आचरण को इस महामारी के हिसाब से ढालना होगा। तो सवाल उठता है कि हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए? आज जब कोरोना के कारण हाथ मिलाना और गले लगना सही नहीं माना जा रहा है, तब भी हम कैसे ऐसे आचरण को करते रह सकते हैं? कुल मिलाकर सामाजिक दूरी का पालन करते रहना है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से समय समय पर जो सलाह दी जा रही है, उसका पालन आगे भी करते रहना होगा। यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो आप सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। देश के जाने-माने डॉक्टर्स और वैज्ञानिक भी देश के लोगों से कोरोना से जंग लडने के लिए मास्क, सेनिटाइजर, समय-समय पर हाथ धोने, दो गज की दूरी आदि नियमों का पालने करने की सलाह देते रहे हैं।
बचपन से लोगों को स्कूल में नागरिक कर्तव्य के बारे में पढाया जाता है। सामाजिक दायित्व को समझाया जाता है। समाज से राज्य और राज्य से देश प्रभावित होता है। सरकारी स्तर पर जो कार्य होने हैं, वह हो रहा है। हर नागरिक और समाज का दायित्व है कि वह आगे भी कोरोना उपयुक्त व्यवहार का पालन करें।
हमें यह समझना होगा कि अगर कोई व्यक्ति घर से बाहर नहीं जा रहा तब तो ठीक है, लेकिन अगर कोई एक भी घर से बाहर जा रहा है, तो वह बाहर से संक्रमण ला सकता है। हो सकता है वो खुद एसिम्प्टोमैटिक हों और घर के बाकी बड़े लोगों को संक्रमित कर दें। इसलिए बहुत जरूरी है कि लोग मास्क पहनें।
कई राज्यों से यह खबर पढने-सुनने में आ रही है कि लोग न तो मास्क लगा रहे हैं और न ही सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं। सरकार की ओर से तमाम माध्यमों से यह संदेश दिया गया कि अभी के समय में भी कोरोना नियमों का पालन करें और वैक्सीन लगवाएं। बावजूद, इसके लोग अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाह नहीं कर रहे हैं। देश को स्वस्थ और सुरक्षित करने में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है।