रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना के लिए आईएनएस उदयगिरि और हिमगिरि का जलावतरण किया

Defense Minister Rajnath Singh launched INS Udaygiri and INS Himgiri for the Indian Navy, a major increase in maritime powerचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भारतीय नौसेना के लिए दो अत्याधुनिक बहु-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट – आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि – का जलावतरण किया। इन दोनों फ्रिगेट्स का एक ही दिन जलावतरण भारतीय नौसेना के इतिहास में पहली बार हुआ है, और यह देश की तेजी से बढ़ती आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण क्षमता का प्रतीक बन गया है।

आईएनएस उदयगिरि और हिमगिरि, दोनों प्रोजेक्ट 17ए श्रेणी के फ्रिगेट हैं, जो पहले की प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक क्लास) की उन्नत और स्टील्थ क्षमताओं वाली अगली पीढ़ी हैं। ये फ्रिगेट्स उन्नत डिज़ाइन, आधुनिक हथियार प्रणालियों, सेंसरों और CODOG (Combined Diesel or Gas) प्रणोदन प्रणाली से लैस हैं, जिससे ये किसी भी ब्लू वॉटर ऑपरेशन में प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम हैं।

आईएनएस उदयगिरि का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा किया गया है। यह अपनी मॉड्यूलर निर्माण प्रणाली के चलते प्रोजेक्ट 17ए का सबसे तेज़ डिलीवरी शेड्यूल वाला जहाज बन गया है।

आईएनएस हिमगिरि को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने तैयार किया है। दोनों फ्रिगेट्स को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया है। इन जहाजों में लगभग 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है, जिससे देशभर के MSME सेक्टर को भी बड़ी भागीदारी मिली है।

इन फ्रिगेट्स का नाम उनके प्रतिष्ठित पूर्ववर्तियों – आईएनएस उदयगिरि (F35) और आईएनएस हिमगिरि (F34) – के सम्मान में रखा गया है, जिन्होंने तीन दशक से भी अधिक समय तक राष्ट्र की सेवा की।

विशेष रूप से, आईएनएस उदयगिरि, नौसेना डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किया गया 100वाँ युद्धपोत है, जो स्वदेशी डिज़ाइन क्षमताओं के 50 वर्षों की सफलता को दर्शाता है।

इन दोनों फ्रिगेट्स को जल्द ही भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े में शामिल किया जाएगा, जिससे भारत की हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक दबदबा और मजबूत होगा।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा कि ये युद्धपोत आत्मनिर्भर भारत की दिशा में “मेक इन इंडिया” अभियान के मजबूत प्रतीक हैं और भारतीय नौसेना को एक नई तकनीकी धार प्रदान करेंगे।

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