जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी पर ब्रिटिश सरकार से औपचारिक माफी की मांग

Demand for formal apology from the British government on the 106th anniversary of the Jallianwala Bagh massacreचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली/लंदन: जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी के मौके पर एक बार फिर ब्रिटिश सरकार से औपचारिक माफी की मांग उठाई गई है। हाल ही में ब्रिटिश कंजर्वेटिव सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटिश सरकार से इस घातक कृत्य को स्वीकार करने और औपचारिक माफी देने की अपील की। उन्होंने इस घटना को ब्रिटिश साम्राज्य के सबसे काले अध्यायों में से एक करार दिया और इसके द्वारा छोड़े गए स्थायी घावों का उल्लेख किया।

ब्लैकमैन ने ब्रिटिश संसद में कहा, “13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हुई नरसंहार की घटना ब्रिटिश इतिहास पर एक दाग है। इस दिन, जनरल डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने बिना किसी चेतावनी के निहत्थे भारतीय नागरिकों पर गोलियाँ चलानी शुरू कर दी थीं। इस घटना में लगभग 1,500 लोगों की मौत हुई थी और 1,200 लोग घायल हुए थे।”

उन्होंने आगे कहा, “यह कृत्य ब्रिटिश साम्राज्य के लिए एक कलंक है। फिर भी, 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इस घटना को एक ‘अंधेरे अध्याय’ के रूप में स्वीकार किया था, लेकिन ब्रिटिश सरकार की ओर से औपचारिक माफी नहीं दी गई। अब, हम 106वीं बरसी के अवसर पर यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या ब्रिटिश सरकार इस भयानक घटना को औपचारिक रूप से स्वीकार करेगी और भारतीय जनता से माफी मांगेगी?”

लुसी पॉवेल, हाउस ऑफ कॉमन्स की नेता, ने इस मुद्दे को उठाने के लिए ब्लैकमैन का धन्यवाद किया और इस हत्याकांड को ब्रिटिश उपनिवेशीकरण के इतिहास में सबसे शर्मनाक घटनाओं में से एक बताया।

जलियावाला बाग हत्याकांड:

13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में यह नरसंहार हुआ था। उस दिन हजारों भारतीय नागरिक ब्रिटिश सरकार द्वारा पास किए गए दमनकारी रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए थे। रॉलेट एक्ट के तहत बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के भारतीयों को गिरफ्तार किया जा सकता था।

जब जनरल डायर को यह पता चला कि लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, तो उन्होंने अपने सैनिकों को जलियांवाला बाग के एकमात्र निकास को अवरुद्ध करने का आदेश दिया और बिना चेतावनी के भीड़ पर गोलियाँ चलवानी शुरू कर दीं। दस मिनट तक लगातार गोलीबारी चलती रही, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। महिलाओं और बच्चों समेत अधिकांश लोग निहत्थे थे। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम मोड़ साबित हुई और भारतीय जनता में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ गहरी नाराजगी का कारण बनी।

आखिरकार क्या होगा माफी का सवाल?

जलियांवाला बाग नरसंहार ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों का गुस्सा और ज्यादा तीव्र हुआ। इस घटना को लेकर कई बार बहस हुई, लेकिन ब्रिटिश सरकार की ओर से किसी भी औपचारिक माफी का मुद्दा आज तक नहीं सुलझ पाया है।

अब, 106 साल बाद, ब्रिटिश संसद में इस काले अध्याय को फिर से उजागर किया गया है और भारतवासियों से माफी की मांग को एक बार फिर जोर-शोर से उठाया गया है। आगामी 13 अप्रैल को जब जलियावाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी होगी, तब यह सवाल फिर से प्रमुख हो सकता है कि क्या ब्रिटिश सरकार इस घातक कृत्य के लिए अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करेगी और भारतीयों से माफी मांगेगी।

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