‘धुरंधर’ उन फिल्म मेकर्स के लिए एक डरावना रिमाइंडर है जो ‘हीरो वर्शिप टेम्पलेट’ में फंसे हुए हैं: राम गोपाल वर्मा

'Dhurandhar' is a frightening reminder for those filmmakers who are stuck in the 'hero worship template': Ram Gopal Varmaचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘धुरंधर’ को भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा गेम-चेंजर करार दिया है। उनका कहना है कि यह फिल्म उन तमाम निर्माताओं के लिए चुनौती बन गई है, जो अब तक VFX से भरी, महंगे सेट्स, आइटम सॉन्ग और हीरो पूजा वाले पुराने टेम्पलेट पर भरोसा करते आए हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी तीखी पोस्ट में वर्मा ने लिखा, “जब भी धुरंधर जैसी कोई लीक से हटकर और ज़बरदस्त हिट फिल्म आती है, तो इंडस्ट्री के लोग उसे नज़रअंदाज़ करना चाहेंगे, क्योंकि वे उसके स्टैंडर्ड से मैच न कर पाने की वजह से उससे खतरा महसूस करते हैं। इसलिए वे इसे एक बुरे सपने की तरह मानते हैं, जो अपनी फिल्मों की रिलीज़ के साथ गायब हो जाएगा।”

वर्मा के मुताबिक यह बात खास तौर पर उन सभी तथाकथित पैन-इंडिया बड़ी फिल्मों पर लागू होती है, जो इस समय प्रोडक्शन के अलग-अलग चरणों में हैं।

उन्होंने लिखा, “ये सभी फिल्में धुरंधर से पहले बने मॉडल पर लिखी और बनाई गई थीं, जो पूरी तरह उसके उलट है जिस पर वे सभी यह मानते थे कि वही काम करेगा।”

राम गोपाल वर्मा ने आगे कहा कि चिंता की बात यह है कि ‘धुरंधर’ न सिर्फ एक ओमेगा हिट है, बल्कि पिछले 50 सालों में सबसे ज़्यादा चर्चा में रहने वाली फिल्मों में से एक बन चुकी है।

फिल्म की तुलना करते हुए उन्होंने इसे एक “बड़े और डरावने कुत्ते” जैसा बताया, जिसे कोई चाहकर भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।

वर्मा ने लिखा, “हम सभी ने कभी न कभी ऐसा अनुभव किया है कि हम किसी के घर जाते हैं और वहाँ एक बड़ा, डरावना कुत्ता हमें घूरता रहता है। मालिक के यह भरोसा दिलाने के बावजूद कि वह हानिरहित है और उसे नज़रअंदाज़ करने की सलाह देने के बाद भी, तनाव बना रहता है और हमारी नज़रें बार-बार उसकी ओर चली जाती हैं।”

वर्मा का कहना है कि ‘धुरंधर’ वही कुत्ता है, जो अब हर उस प्रोडक्शन ऑफिस में अदृश्य रूप से घूमता रहेगा, जहाँ बड़ी बजट की फिल्में बन रही हैं।

“लोग उसका नाम लेने से भी बचेंगे, लेकिन वह उनके दिमाग में लगातार मौजूद रहेगा।”

फॉर्मूला फिल्मों, VFX-हैवी और स्टार-ड्रिवन मसाला सिनेमा के बिल्कुल उलट, ‘धुरंधर’ को उसकी कहानी, ट्रीटमेंट और क्राफ्ट के लिए सराहा गया है, न कि सिर्फ स्टार पावर के लिए। वर्मा के अनुसार, यह फिल्म उन निर्माताओं के लिए एक ‘हॉरर फिल्म’ बन गई है, जो अब भी हीरो पूजा वाले टेम्पलेट से चिपके हुए हैं।

उन्होंने लिखा, “इस मायने में #धुरंधर असल में उन सभी मेकर्स के लिए एक हॉरर फिल्म है, जो VFX, महंगे सेट, आइटम सॉन्ग और हीरो पूजा वाले पुराने फॉर्मूले में विश्वास करते थे। अब धुरंधर में स्टार की जगह फिल्म की पूजा हो रही है।”

वर्मा ने यह भी कहा कि ऐसे फिल्ममेकर अपनी ही बनाई मसाला फिल्मों की ‘जेल’ में फंसे रह जाएंगे।

“वे चाहे जितनी कोशिश कर लें, वह कुत्ता दूर नहीं जाएगा। जब भी उनकी अगली फिल्म रिलीज़ होगी, वह वहीं मौजूद रहेगा—काटने के लिए।”

आख़िर में राम गोपाल वर्मा ने कहा कि आदित्य धर फिल्म्स ने ‘धुरंधर’ के ज़रिए इंडस्ट्री को एक सख्त आईना दिखाया है, जिससे फिल्म निर्माताओं को अपने नज़रिए पर दोबारा सोचने और अपने काम को ‘धुरंधर’ द्वारा तय किए गए नए सिनेमाई मानकों पर परखने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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