डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए भारत पर ‘प्रतिबंध’ लगाए: अमेरिका

Donald Trump imposed 'sanctions' on India to end Russia-Ukraine war: USचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: व्हाइट हाउस ने मंगलवार को पुष्टि की कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर शुल्क दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है। यह कदम रूस पर दबाव बनाने की उनकी रणनीति का हिस्सा बताया गया है, ताकि यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त किया जा सके। प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने बताया कि यह फैसला आर्थिक दबाव बढ़ाने और रूस को स्पष्ट संदेश देने के उद्देश्य से लिया गया है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ने युद्ध को समाप्त करने के लिए सार्वजनिक रूप से कई बार कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों सहित कई कदम उठाए हैं और यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस संघर्ष का अंत चाहते हैं।”

गौर करने वाली बात यह है कि यह पहला मौका है जब व्हाइट हाउस ने भारत को लेकर ‘टैरिफ’ की बजाय ‘प्रतिबंध’ (sanctions) शब्द का इस्तेमाल किया है। अब तक न तो राष्ट्रपति ट्रंप और न ही किसी वरिष्ठ अधिकारी ने भारत के लिए इस शब्द का उपयोग किया था।

इस घोषणा से ठीक पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ज़ेलेंस्की ने संकेत दिया कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के लिए तैयार हैं, जिससे एक संभावित समझौते की दिशा में बढ़ा जा सके। ट्रंप ने इस मुलाकात को “बहुत सफल दिन” बताया, जबकि ज़ेलेंस्की ने इसे अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ हुई “अब तक की सबसे अच्छी बातचीत” करार दिया।

लेविट ने जोर देकर कहा कि ट्रंप युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हाल ही में व्हाइट हाउस का दौरा करने वाले नाटो और यूरोपीय नेताओं ने भी इस बैठक को महत्वपूर्ण पहल बताया है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति आगे बढ़ना चाहते हैं और इस युद्ध को यथाशीघ्र समाप्त करना चाहते हैं।”

रूस के साथ ट्रंप की सीधी बातचीत के बाद यूरोप में कूटनीतिक गतिविधियों में तेजी देखी गई। लेविट के मुताबिक, ट्रंप और पुतिन की बैठक के 48 घंटों के भीतर शीर्ष यूरोपीय नेता और नाटो महासचिव वॉशिंगटन पहुंचे। उन्होंने कहा, “वे आभारी थे कि राष्ट्रपति ने रूस की स्थिति को लेकर स्पष्ट जानकारी दी, जो पिछली सरकार द्वारा कभी नहीं दी गई थी।”

ट्रंप ने फिर दोहराया कि यदि वे राष्ट्रपति होते तो यूक्रेन युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। व्हाइट हाउस का कहना है कि पुतिन ने भी इस बात से सहमति जताई है, और इस बात को अमेरिकी प्रशासन लगातार उजागर करता रहा है।

भारत पर लगाए गए नए टैरिफ को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, खासकर तब जब वॉशिंगटन का आरोप है कि भारत रियायती दरों पर रूसी तेल खरीद कर मुनाफा कमा रहा है। अमेरिकी ट्रेज़री सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत के रूसी तेल आयात में भारी उछाल आया है—जहां पहले यह कुल आपूर्ति का 1 प्रतिशत था, अब यह करीब 42 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने इस व्यापार से 16 अरब डॉलर का अतिरिक्त मुनाफा कमाया और इसे “अस्वीकार्य” बताया। उनका कहना है कि भारत की अमीर परिवार इस व्यापार से लाभ कमा रहे हैं।

व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भी भारत की रूस से ऊर्जा और रक्षा उपकरणों की खरीद पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने इसे “अवसरवादी” और वैश्विक प्रयासों के लिए “संक्षारक” बताया। फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे एक लेख में नवारो ने कहा कि भारत की नीतियां अमेरिका और यूरोप के टैक्सदाताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल रही हैं जो यूक्रेन की रक्षा में खर्च कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया कि भारत पर टैरिफ बढ़ाने का कदम रूस को वार्ता के लिए राजी करने में एक कारक रहा। अलास्का में पुतिन के साथ शिखर बैठक से पहले फॉक्स न्यूज़ रेडियो पर ट्रंप ने कहा कि “भारत पर शुल्क दोगुना करने से उसने रूसी तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया।” भारत रूस के बाद दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है, लेकिन अब नई सख्ती के चलते भारतीय तेल कंपनियों ने अपनी खरीद में कटौती की है और प्रतिबंधों के प्रभाव का इंतजार कर रही हैं। विश्लेषकों का कहना है कि रूसी तेल की आपूर्ति हटने से भारत को विकल्प ढूंढना मुश्किल होगा, क्योंकि यह उसकी कुल तेल जरूरत का करीब 35 प्रतिशत है। एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा, “अगर इतनी बड़ी आपूर्ति बाजार से गायब हो जाती है तो इससे तनाव बढ़ेगा और कीमतें ऊपर जाएंगी।”

हालांकि इस आर्थिक दबाव का असर सहयोगियों और साझेदार देशों पर भी पड़ सकता है, लेकिन लेविट ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ट्रंप दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ने इस प्रयास में काफी समय और ऊर्जा लगाई है। उन्होंने यूक्रेन, रूस, नाटो और यूरोपीय सहयोगियों से बातचीत की है और वे इस युद्ध को समाप्त करने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं।”

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