मानव कहानी कहने की कला को न भूलें, AI सिर्फ सहायक है: सुभाष घई
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: फिल्म निर्माता सुभाष घई ने तकनीक-प्रेरित इस दौर में भी मानवीय भावनाओं और रचनात्मकता की अहमियत को रेखांकित किया। मुंबई स्थित अपने संस्थान व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल के 19वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर उन्होंने नए छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि AI एक सहायक उपकरण हो सकता है, लेकिन रचनात्मकता का केंद्र बिंदु कभी नहीं बन सकता।
इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा करते हुए ‘ताल’ और ‘परदेस’ जैसी फिल्मों के निर्देशक ने छात्रों को सलाह दी कि वे “टेक्नो शो” बनाने की बजाय ऐसी कहानियाँ कहें जिनमें आत्मा हो और जो मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी हों।
उन्होंने लिखा, “पीढ़ियाँ बदलती हैं। तकनीकें बदलती हैं। नज़रिए बदलते हैं। एआई आपका सहारा है, लेकिन मालिक नहीं। इसे मानवीय बुद्धि ने बनाया है। इसलिए अपनी रचनात्मकता को सिर्फ़ मानवीय कहानियाँ कहने के लिए विकसित करें, न कि किसी तकनीकी शो के लिए… अपने काम में जान डालने के लिए पहले अपनी आत्मा को विकसित करें।”
इस मौके पर उन्होंने टेक्स्ट, ऑडियो-विजुअल, फैशन और अन्य डिजाइनिंग क्षेत्रों के नए छात्रों से बातचीत की और उन्हें सृजनशीलता को आत्मा से जोड़ने की प्रेरणा दी।
ज्ञात हो कि व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल की स्थापना सुभाष घई ने 2006 में की थी। यह संस्थान भारत के प्रमुख फिल्म, मीडिया और क्रिएटिव आर्ट्स के शिक्षण केंद्रों में से एक है।
वर्कफ्रंट की बात करें तो हाल ही में सुभाष घई ने अपनी अगली फिल्म की घोषणा सोशल मीडिया पर की थी। 30 जून को उन्होंने अभिनेता रितेश देशमुख की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा था,